डॉक्टर और लैब स्टाफ जान जोखिम में डाल कर ड्यूटी निभा रहे

जिस कोरोनावायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है, उसके बारे में लोगों के मन में यह जिज्ञासा होना लाजिमी है कि आखिर इस संक्रमण की जांच होती कैसे है? इसकी प्रक्रिया क्या है? प्रक्रिया से जुड़े डॉक्टर-सहकर्मी और लैब टैक्नीशियन सहित स्टाफ संक्रमण से सुरक्षित रहें, इसके लिए क्या ऐहतियात बरते जाते हैं? भास्कर इन्हीं सवालों का जवाब पाने के लिए तयशुदा प्रक्रिया और जरूरी इजाजत के साथ राजकोट स्थित कोरोना लैब पहुंचा। लैब की डीन डॉ. गौरवी ध्रुव और उनकी टीम ने कोरोना सैंपल टेस्टिंग की प्रक्रिया लाइव दिखाई। यह पहला मौका है, जब कोरोना जांच लैब से सैंपल जांच प्रक्रिया का लाइव वीडियो बनाया गया।
डॉ. ध्रुव और उनकी टीम ने सैंपल लिए जाने से लेकर इसकी प्रोसेस और आखिरी रिजल्ट आने तक की पूरी प्रक्रिया सिलसिलेवार ढंग से बताई। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की जांच के 4 मुख्य चरण होते हैं और यह करीब 6 घंटे में पूरी होती है। राजकोट स्थित इस लैब में कोरोना की जांच के लिए हर वक्त 10 लोगों की टीम मौजूद रहती है। इनमें तीन प्रोफेसर, इतने ही टैक्नीशियन और रेजिडेंट डॉक्टर होते शामिल होते हैं।

पहला चरण: सैंपल अलोकेटिंग
किसी भी संदिग्ध मरीज के नाक, गले के हिस्से से स्वोब यानी सीक्रिशंस लिए जाते हैं। इन्हें बायोसेफ्टी कैबिनेट के अंदर प्रोसेस किया जाता है। सैंपल की 3 मिलीलीटर मात्रा में से 200 माइक्रो लीटर हिस्सा अलग किया जाता है। इसके बाद इसमें कैमिकल शामिल कर वायरस को मृत किया जाता है। पहले चरण में बायोसेफ्टी कैबिनेट में प्रोसेस होती है। सैंपल में रिएजन्ट मिलाने से इसमें मौजूद तमाम वायरस मर (लाइसिस) जाते हैं। इसे अलोकेटिंग कहा जाता है।
दूसरा चरण: आरएनए एक्सट्रेक्शन
वायरस के बीच में आरएनए होता है। इस चरण में कोरोनावायरस के अंदर मौजूद आरएनए को अलग किया जाता है। सैंपल में कई वायरस होते हैं इसलिए सभी के आरएनए अलग-अलग किए जाते हैं। आरएनए जो कि वायरस की संरचना का सबसे बड़ा हिस्सा होता है, उसे एक्सट्रैक्ट कर इसे निष्क्रिय (लाइसिस) कर दिया जाता है ताकि अगले चरण में डिटेक्ट किया जा सके कि जो वायरस है, वह कोरोना वायरस है या कोई दूसरा वायरस।

तीसरा चरण: प्री-पीसीआर सेक्शन
यहां बायोसेफ्टी कैबिनेट में कोरोना वायरस को डिटैक्ट करने के लिए अलग-अलग तरह के कैमिकल तैयार किए जाते हैं। ये कैमिकल तैयार होते ही इन कैमिकल और दूसरे चरण में अलग किए गए आरएनए को पीसीआर सेक्शन में ले जाया जाता है। लैब के कक्ष क्रमांक-3 में आरएनए को डिटैक्ट करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनो का जो जैनेटिक कोड तैयार किया है, उससे रिएजन्ट तैयार किया जाता है।

चौथा चरण: पीसीआर सेक्शन
अलग किए गए आरएनए को लैब के कक्ष क्रमांक-3 में तैयार रिएजन्ट को एक वायल में मिक्स कर मशीन में रखा जाता है। मशीन का तापमान 55 से 95 डिग्री के बीच अलग-अलग लेवल पर रखा जात है। टेम्परेचर के इन चरणों में आरएनए में यदि बढ़ोतरी होती है और उसका परिणाम ग्राफ के रूप में आता है यानी ग्राफ में आरएनए मल्टीप्लाई हो और कोरोना के जैनेटिक कोड से मैच हो तो सैंपल पॉजिटिव होता है। यानी जिस व्यक्ति का ये सैंपल था, वह कोरोनोवायरस संक्रमित है। प्रक्रिया पूरी होने पर मशीन की मदद से हमें पता चलता है कि सैंपल में कोरोना वायरस है या नहीं। इसमें करीब छह घंटे का वक्त लगता है। नतीजे का ऐलान करने से पहले ऐसे सैंपल की जांच एक बार फिर की जाती है।

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गुजरात के राजकोट में बनी कोरोना लैब में भास्कर ने जाना कि जांच टीम किस तरह से कोरोनावायरस के संक्रमण का पता लगाती है।

Source: DainikBhaskar.com

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