मुंबई: कोरोना से मौत के बाद धारावी में 1 और पॉजिटिव केस, हड़कंप – Navbharat Times

फाइल फोटो
हाइलाइट्स

  • मुंबई के स्लम एरिया धारावी में कोरोना वायरस से संक्रमण का दूसरा केस
  • कोरोना की वजह से एक की मौत के बाद 52 वर्षीय व्यक्ति भी पॉजिटिव
  • दो मामले सामने आने से हजारों झुग्गियों वाले इस इलाके में मचा हड़कंप

मुंबई

घनी आबादी वाले मुंबई के धारावी इलाके में कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति की मौत के एक दिन बाद ही गुरुवार को एक अन्य व्यक्ति वायरस से संक्रमित पाया गया है। बीएमसी में सफाईकर्मी का काम करने वाले व्यक्ति का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद हजारों झुग्गियों वाले इस इलाके में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

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बृह्नमुंबई नगर निगम (बीएमसी) में काम करने वाले 52 साल के सफाईकर्मी का कोरोना टेस्ट भी पॉजिटिव आया है। बीएमसी के अधिकारियों ने बताया, ‘वह वर्ली का रहने वाला था और सफाई के काम के लिए धारावी में पोस्टेड था। उसके अंदर कोरोना के लक्षण दिखे, जिसके बाद उसे बीएमसी अधिकारियों की तरफ से इलाज कराने की सलाह दी गई। उसकी स्थिति अभी स्थिर बनी हुई है। उसके परिवार के सदस्यों और 23 सहकर्मियों को भी क्वॉरंटीन करने की सलाह दी गई है।’ महाराष्ट्र में अभी तक कोरोना वायरस के 338 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 9 की मौत हो चुकी है।

मुंबई के धारावी के जिस इलाके में कोरोना का पॉजिटिव मरीज मिला है, वहां हजारों की संख्या में झुग्गियां हैं। ऐसे में इस इलाके में संक्रमण फैलने का खतरा देखते हुए अधिकारियों के बीच हड़कंप की स्थितियां बनी हुई हैं। झुग्गियों की घनी आबादी के बीच कोरोना के मरीज के मिलने के बाद अधिकारी अब संक्रमण के खतरों को रोकने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

घनी बस्तियों में फैल रहा कोरोना

मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियां और चॉल में इस वायरस के तेजी से फैलने की आशंका है और यहां पर इसे काबू पाना प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है। इस वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे अहम है और इन घनी बस्तियों में यह संभव नहीं हो पा रहा है। अब तक बस्तियों में 9 लोगों को कोरोना पॉजिटिव हो चुका है।

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छोटे से कमरे में रहते हैं कई परिवार

सामाजिक दूरी इन मलिन बस्तियों और चॉलों संभव नहीं है। झुग्गी बस्तियों में ज्यादातर घरों में टिन की चादरें एक साथ रखी जाती हैं और यहां रहने वाले लोग सामुदायिक शौचालयों का उपयोग करते हैं। चॉलों में तो 8X10 के कमरों में सामान्यता छह लोग तक रहते हैं। यहां के लोगों में बीमारी रोकना शुरू से ही स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती रहा है।

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