चीन ने दूसरे देशों से 5 हफ्तों में 2 अरब मास्क खरीदे थे, अब वो दुनिया को खराब क्वॉलिटी के मास्क बेच रहा

कीथ ब्रैडशर. चीन ने कोरोनावायरस से लोगों को बचाने के लिए मास्क का भी सहारा लिया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन लगाने के साथ ही दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर मास्क और प्रोटेक्टिव इक्पिमेंट का आयात किया। चीनी सरकार के कस्टम डेटा के आंकड़े बताते हैं कि उसने कोरोनावायरस के वक्त 5 हफ्तों में करीब 2 अरब मास्क का आयात किया, जो दुनियाभर में 2 से ढाई महीने के कुल मास्क उत्पादन के बराबर था। इसके अलावा 40 करोड़ प्रोटेक्टिव उपकरण का आयात किया है।

चीन घरेलू स्तर पर मास्क और अन्य प्रोटेक्टिव उपकरणों के निर्माण में कई छूटें दी
चीन ने मास्क आयात के साथ ही घरेलू स्तर पर मास्क और अन्य प्रोटेक्टिव उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग में कई तरह की छूट भी दी। इस तरह बचाव उपायों को अपनाकर चीन ने कोरोनावायरस पर काफी हद तक काबू पा लिया। लेकिन अब यह वायरस चीन से दुनिया के अन्य देशों तक पहुंच चुका है। ऐसे में चीन अब इन मास्क और अन्य जरूरी सामानों का एक्सपोर्टर बन रहा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोनावायरस के चलते मास्क की कीमतों में काफी इजाफा भी देखा जा रहा है। मेडिकल वर्कर को प्रोटेक्ट करने वाले एक खास तरह के मास्क एन-95 और प्रोटेक्टेटिव उपकरणों की थोक कीमत पांच गुना तक बढ़ गई। साथ ही ट्रांस पैसिफिक एयरफ्रेट चार्ज तीन गुना हो गए हैं।

फ्रांस उन देशों में है, जो सबसे ज्यादा मास्क प्रोडेक्शन करता है। लेकिन अब उसे चीन से मास्क मांगाना पड़ रहा है।

चीन पर खराब क्वॉलिटी के मास्क बेचने के लग रहे आरोप
चीन पर खराब क्वॉलिटी के मास्क बनाने का आरोप भी लग रहा है। दरअसल, यूरोपियन यूनियन ने मंगलवार को खराब क्वॉलिटी के चीनी मास्क और टेस्ट किट को लेकर शिकायत की। इसके बाद चीन के वॉणिज्य मंत्रालय ने भरोसा दिया कि वो मास्क को तय स्टैंडर्ड के मताबिक ही बनाएंगे। चीन की ओर से अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को मास्क की सप्लाई की जा रही है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि अगले एक हफ्ते में वो 22 कार्गो प्लेन के जरिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट को एयरलिफ्ट करेंगे। अमेरिका ने कहा कि अगले 72 घंटों में प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में इनकी दोबारा सप्लाई की जाएगी। बता दें कि फ्रांस के पास मास्क का एक बड़ा स्टॉक है, जिसे उसने चीन से खरीदा है।

यूरोप और अमेरिका चीन से कर रहे मास्क आयात
चीनी सरकार मास्क की बिक्री और खरीदादारी को लेकर ग्लोबल डील को बढ़ावा दे रही है। लेकिन यह कोई आसान टास्क नहीं है। मास्क मैन्यूफैक्चर के नियम, कस्टम कानून और धोखाधड़ी की वजह से ट्रेडिंग में दिक्कत हो रही है। कई लोग कहते हैं कि वे सीधे अस्पतालों और अन्य लोगों को बेचते हैं, जिन्हें उपकरण की आवश्यकता होती है, सट्टेबाजों को नहीं। हालांकि हकीकत यह भी है कि कुछ फैक्ट्रियां खराब क्वॉलिटी के मास्क बना रहे हैं। पिछले हफ्ते चीन में एक व्यक्ति को खराब मास्क बेचने की वजह से 10 साल के लिए जेल भेज दिया गया। कुछ चीनी कंपनियां मास्क को सीधे विदेशी कस्टमर्स को बेच रही हैं। चीन की सरकारी एजेंसी और लोकल ऑफिसर की ओर से कई बार सलाह दी गई है कि फैक्ट्रियां पहले घरेलू जरूरत को पूरा करें। इसके बावजूद सोमवार को फ्रांस के Bussy-Lettree में चीन से फेस मास्क के दर्जनों बक्से उतारे।

मास्क और जरूरी चीजों को लेकर चीन कर रहा सौदेबाजी
चीन के एक मैकेनिकल इक्पिमेंट सप्लायर हेनन डोरिआ के मुताबिक वो बड़े तादाद में ग्लोबल मार्केट में मास्क बेचने के लिए तैयार हैं। उनकी तरफ से 15 दिनों में करीब 20 लाख एन95 मास्क भेजने की बात कही गई है। हालांकि हवाई उड़ान पर रोक के चलते मास्क को देश से बाहर भेजने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में चीन की तरफ से कहा गया है कि अगर अमेरिका को लार्ज स्केल में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट चाहिए, तो उसे अमेरिकी कॉर्गो विमान उपलब्ध कराने होंगे। चीन की मानें, तो उसके पास केवल 173 कॉर्गो विमान हैं, जबकि अमेरिका 550 से ज्यादा कॉर्गो विमान रखता है। उन्होंने कहा सभी कॉर्गो एयरक्राफ्ट का निर्माण चीन में शुरुआती चरण में है। शंघाई के गोल्डन पैसिफिक फैशन एंड डिजाइन के प्रेसिडेंट मिचेल क्रोटी ने कहा है कि एन 95 मास्क बनाने वाले कंपनियां ने शर्त रखी हैं कि मास्क के आर्डर के वक्त कुल 50 फीसदी डाउनपेमेंट करना होगा। साध ही बाकी रकम मास्क के फैक्ट्री गेट से निकलने से पहले चुकानी होगी।

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फ्रांस के बिजी लेत्तरी में कार्गो प्लेन से उतरते चीन में बने मास्क।

Source: DainikBhaskar.com

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