सौ साल पहले भी मास्क ने दुनिया को बचाया था, 1918 में आया यह फ्लू कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक था

करीब सौ साल पहले की बात है। तब भी एक महामारी दुनिया में फैली थी। साल था 1918। नाम था स्पेनिश फ्लू। कोरोना से भी खतरनाक। तब भी दुनियाभर में लोग मास्क पहने नजर आए थे। और इसी मास्क ने दुनिया के लोगों को संक्रमण से बचाया था। …इसलिए ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, जब किसी महामारी के चलते इतनी जानें जा रही हों और हर कोई एक अजीब-सी बेचैनी, घबराहट और डर में हो। कोरोनावायरस से दुनियाभर में 8 लाख 58 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। मौतें 43 हजार से ज्यादा हैं। स्पेनिश फ्लू ने तो दुनिया की एक तिहाई आबादी को अपनी चपेट में लिया था। पांच करोड़ लोगों की जान ली थी। यह आंकड़ा पहले वर्ल्ड वॉर के चार साल के दौरान हुई मौतों से चार गुना ज्यादा था। आज भी इस महामारी की तस्वीरें देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय इसका कहर कैसा रहा होगा।

सबसे पहले अमेरिका चपेट में आया था
स्पेनिश फ्लू ने सबसे पहले अमेरिका में दस्तक दी थी। इसके बाद ये यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में फैलना शुरू हुआ। नेशनल आर्काइव में मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, इस इन्फ्लुएंजा ने एक साल में दो अलग-अलग फेज में दुनियाभर पर हमला किया था। पहले दौर का असर तीन दिन के बुखार के साथ दिखना शुरू हुआ, वो भी बिना किसी खास लक्षण के। पीड़ित जैसे ही बीमारी से उबरने लगता, वैसे ही यह दोबारा हमला कर देती। दूसरे हमले के बाद पीड़ित की हालत इतनी गंभीर हो जाती कि उसके बचने की कोई उम्मीद ही नहीं बचती। इसके फैलते ही मौत की रिपोर्ट्स आनी शुरू हो गई थीं। 1918 में ही यह बीमारी दोबारा लौटकर आई। इसमें कई पीड़ित पहला लक्षण सामने आने के चंद घंटों से लेकर कुछ दिनों तक मौत के मुंह में चले गए।

बीमारी को पहचानना था मुश्किल
साइंटिस्ट्स, डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स के लिए इस बीमारी को पहचानना मुश्किल हो गया था। ये इतनी तेज से गहरा असर कर रही थी कि इसे काबू करना संभव नहीं था। उस दौर में इस महामारी के इलाज के लिए न तो कोई सटीक दवा थी और न ही कोई वैक्सीन। बस प्रभावित इलाकों में लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही थी। महामारी के चलते लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा गया था। वहीं स्कूल, थिएटर और बिजनेस पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे, ताकि लोग घरों से कम से कम निकलें। इस महामारी ने किसी को नहीं छोड़ा था। इसने शहरी इलाके से लेकर ग्रामीण इलाके तक, आबादी से भरे ईस्ट कोस्ट से लेकर अलास्का के रिमोट एरिया तक सबको अपनी चपेट में लिया।

तस्वीरोंमें देखिए स्पेनिश फ्लू ने कैसे कहरबरपाया था

दिसंबर 1918 में अमेरिकी सेना की 39वीं रेजिमेंट फ्लू से बचने के लिए मास्क पहने हुए। फोटो सैनिकों के फ्रांस जाने के दौरान का।
इस फ्लू से बचने के लिए कनाडा में सभी स्कूल, चर्च, थियेटर, पूल, लॉज जैसी तमाम जगहों पर ताला लगा दिया गया था।
अमेरिका के मिसौरी में रेज क्रॉस मोटर कॉर्प्स के मेंबर्स ड्यूटी के दौरान।
यूएस के अरकंसास हॉस्पिटल में इंफ्लुएंजा के मरीज।
मास्क पहने पुलिसकर्मी। रेड क्रॉस बड़े पैमाने पर ये मास्क बनाता था। फोटो दिसंबर 1918 का।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में बनाए गए एक अमेरिकी सेना शिविर अस्पताल की तस्वीर। अनुमान है कि 20 से 40 प्रतिशत अमेरिकी सैनिक स्पेनिश फ्लू की वजह से बीमार हुए थे।
नवंबर 1918 का फोटो। बेड पर स्पेनिश फ्लू की मरीज लेटी है। पास ही एक बच्ची खड़ी है। बच्ची इतनी परेशान हो गई कि उसने रेड क्रॉस होम सर्विस को फोन किया। इसके बाद वॉलेंटियर्स महिला की मदद करने आए।
रेड क्रॉस रूम में बैठी वर्कर्स मास्क पहने हुए।
1918 की फोटो। टेलीफोन ऑपरेटर मास्क पहनकर बैठी हुई।
महामारी से डर के चलते हर कोई मास्क पहन रहा था। अक्टूबर 1918 की फोटो में टाइपिस्ट मास्क पहने हुए।
नवंबर 1918 में वॉशिंगटन डीसी के वाॅल्टर रीड अस्पताल के वार्ड में एक मरीज की नब्ज देखती नर्स।
फ्रांस के रॉयट स्थित अमेरिकी सेना अस्पताल में मास्क पहनकर मोशन पिक्चर देखते सैनिक।
स्पेनिश फ्लू से बचने के लिए जापान के स्कूल की छात्राएं प्रोटेक्टिव मास्क पहने हुए।
अमेरिका के कंसास में फोर्ट रिले के पास हॉस्पिटल में भर्ती इन्फ्लूएंजा के मरीज।
कैलिफोर्निया में ओपन बार्बर शॉप। फ्लू के असर के चलते खुले में दुकानें चलाने को बढ़ावा दिया जा रहा था।
27 फरवरी 1919 का फोटो। वायरस से बचने के लिए महिला मास्क पहने हुए।
स्पेनिश फ्लू की वजह से जान गंवाने वाले अमेरिकी सैनिकों की कब्र। 8 मार्च 1919 का फोटो।
यूके में बसों में एंटी-फ्लू गैस का छिड़काव किया गया। फोटो 2 मार्च 1920 का।

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Source: DainikBhaskar.com

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