यहां संक्रमण रुकने की सबसे बड़ी वजह- सही समय पर ज्यादा से ज्यादा टेस्ट

दक्षिण कोरिया में संक्रमण फैलने के बाद जो कुछ हुआ, वह बहुत से देशों के लिए सबक हो सकता है। पांच करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले साउथ कोरिया में अब तक कोरोनावायरस के संक्रमण के 9 हजार 786 मामले सामने आए हैं। इनमें से 162 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 5 हजार 408 लोग स्वस्थ होकर घरों को लौट चुके हैं। दक्षिण कोरिया वह मुल्क है, जो देश में लॉकडाउन लगाए बिना संक्रमण पर काबू पाने में सफल हो रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां पर बड़े पैमाने पर कोरोना टेस्ट (अब तक करीब 3 लाख) हुए। दक्षिण कोरिया में बहुत ज्यादा टेस्ट होने पर फरवरी में ही करीब 8 हजार मामले सामने आए। संक्रमितों की पहचान हो जाने पर संक्रमण को बड़े पैमाने पर फैलने से रोका जा सका। यहां फरवरी से अब तक सिर्फ 786 मामले सामने आए हैं। पढ़ें दक्षिण कोरिया ग्राउंड रिपोर्ट…

मैं इंदौर की रहने वाली हूं। अभी साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में रहती हूं। यहां कोरिया यूनिवर्सिटी से पॉलीमर केमिस्ट्री में पीएचडी कर रही हूं। तीन फरवरी को मैं अपने घर इंदौर से वापस साउथ कोरिया आई। सफर की वजह से मुझे सर्दी हुई और फीवर आ गया। मैं जिस लैब में काम करती हूं, वहां जब इस बात का पता चला तो सब घबरा गए। मुझे तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया। हॉस्पिटल पहुंचते ही वहां के स्टॉफ ने मेरे दोस्तों को दो मीटर दूर कर दिया और मेरे चारों ओर दो मीटर का घेरा बनाकर चलने लगे। इसके बीच में किसी को नहीं जाने दिया जा रहा था। मुझे हॉस्पिटल में पीछे की तरफ अलग से बनाए गए वार्ड में ले जाया गया और जांच की गई।

यह वह समय था, जब ज्यादातर देश कोरोनावायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे थे और दक्षिण कोरिया में संक्रमण के गिने-चुने मामले आए थे। ऐसे में दक्षिण कोरिया में पहले से इतनी तैयारी और जागरूकता उनकी बेहतर समझ दिखाती है। हालांकि, बाद में मेरी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई।

दरअसल, साउथ कोरिया में संक्रमण की शुरुआत डाएगू शहर के शिनचोनची चर्च से हुई थी। यहां की एक महिला कोरोनावायरस के संक्रमण की चपेट में आई और उसकी पहचान नहीं हो सकी। इसके बाद वह महिला चर्च के 9 और 16 फरवरी को हुए समारोहों में शामिल हुई। इससे यहां संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की शुरुआत हुई। इससे पहले यहां संक्रमण के गिनचुने 20 मामले थे। इसके बाद चर्च के आसपास अचानक मामले बढ़ने लगे। यहां 2015 में मर्स (mers) का भी कहर फैला था।

यह तस्वीर 31 मार्च की सियोल सिटी की है। यहां बसें चालू हैं। हालांकि, यहां सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखा जा रहा है।

जब यहां पर संक्रमण तेजी से फैला तो सरकार की सबसे पहले कोशिश यही थी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा सके। इसकी वजह यह थी कि तब संक्रमण शुरुआती स्तर पर था और ऐसे में संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें क्वारैंटाइन करना बहुत जरूरी था। इससे संक्रमण फैलने से तो रोका ही जा सका और मौतों पर लगाम लगाई जा सकी। भारत के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि यहां की आबादी बहुत ज्यादा है। ऐसे में यहां टेस्ट भी कम हुए हैं। अगर संक्रमण को और घातक स्तर तक पहुंचने से रोकना है तो केवल ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट करना होगा इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।

डाएगू शहर के रेलवे स्टेशन पर कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर बैठे लोग।

बर्थ इयर के हिसाब से दिन तय कर मास्क बांटे गए
यहां पर शुरुआत में जब संक्रमण तेजी से बढ़े तो मेडिकल शॉप में मास्क और सैनिटाइजर लेने के लिए लोगों की भीड़ जुट पड़ी। इससे यहां इन चीजों की शॉर्टेज हो गई। इसके बाद यहां की सरकार ने एक नियम बनाया कि लोगों के बर्थ इयर के आखिरी नंबर के आधार पर मास्क और सैनिटाइजर बांटे जाएं। जैसे की अगर आपका बर्थ इयर 1995 है तो आखिरी का नंबर 5 है यानी आपको मास्क शुक्रवार को मिलेगा। इसके अलावा शनिवार और रविवार सबके लिए छूट रहती थी।

उल्टे हाथ से काम करने की सलाह
संक्रमण को रोकने के लिए यहां के हेल्थ एक्सपर्ट्स ने लोगों को उल्टे हाथ से काम करने की सलाह दी। मतलब जो लोग दाएं हाथ से काम करते हैं, वे बाएं हाथ का इस्तेमाल करें और जो बाएं का इस्तेमाल करते हैं, वे दाएं हाथ का इस्तेमाल करें। इसके पीछे वजह यह थी कि लोग रोज के कामों के लिए अपने जिस हाथ का इस्तेमाल करते हैं, वही हाथ आंख और चेहरे पर ले जाते हैं।

600 टेस्टिंग सेंटर शुरू किए
संक्रमण के मामले आते ही यहां 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोले गए। शरीर के तापमान और गले की जांच दस मिनट कर ली जाती है और एक घंटे के भीतर इसकी रिपोर्ट मिल जाती है। यहां हर जगह लगे फोन बूथों को टेस्टिंग सेंटर में बदल दिया गया है। 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर लोगों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था भी की गई है।

साउथ कोरिया में ड्राइव थ्रू टेस्टिंग की शुरुआत की गई है। यहां ड्राइविंस सेंटरों और कार वाॅश स्टेशनों पर लोगों की जांच की जा रही है।

यहां की सबसे खास बात यह थी कि संक्रमण से निपटने के लिए तकनीक का बेहतर इस्तेमाल किया गया। यहां क्वारैंटाइन मे भेजे गए लोगों के फोन में एक मोबाइल एप्लीकेशन डाला गया। इससे सरकारी अधिकारियों को उस व्यक्ति की गतिविधि पर नजर रखने में मदद मिली। इसके अलावा हर नागरिक को फोन के जरिए पल-पल की सूचना दी जाती थी। मैसेज के जरिए बताया जाता था कि किस एरिया में कितने मामले सामने आए हैं। लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाए रखने, कम यात्रा करने की अपील की गई। इससे लोग जागरूक हुए और अपनी जिम्मेदारी समझी।

बड़ी इमारतों में थर्मल इमेजिंग कैमरे
सरकार ने यहां सोसाइटी, बड़ी इमारतों, होटलों और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए हैं। मेरी बिल्डिंग और लैब में भी यह लगाया गया है। तापमान की जांच होने के बाद ही हमें एंट्री मिलती है। इसके साथ ही सरकार ने हर पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे- बस, सब-वे पर जगह-जगह पर सैनिटाइजर मौजूद करा रखा है। इसके साथ ही रोड पर हर 500 मीटर की दूरी पर आपको सैनिटाइजर मिल जाएगा।

जब से यह संक्रमण फैला इंडियन एम्बेसी, तभी से लगातार इंडियन कम्युनिटी से संपर्क में है। जब संक्रमण तेजी से फैल रहा था तो हर छात्र को पर्सनल मेल और मैसेज के जरिए बताया जाता था कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो आपको एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा, घबराने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही एंबेसी इंडियन कम्युनिटी के लोगों को मास्क और सैनेटाइजर भी बांटती रही।

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दक्षिण कोरिया में ड्राइव थ्रू टेस्टिंग के जरिए कोरोना टेस्ट करते हेल्थ वर्कर्स। इससे शरीर के तापमान और गले की जांच दस मिनट में कर ली जाती है।

Source: DainikBhaskar.com

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