जानें- क्या है तबलीगी जमात और मरकज – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • इस्लाम की शिक्षाओं का प्रचार करने वाला संगठन है तबलीगी जमात
  • दुनिया भर में हैं तबलीगी जमात के सदस्य, करीब 15 करोड़ सदस्यों का दावा
  • 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत से शुरू हुआ था यह आंदोलन
  • निजामुद्दीन में है इस संगठन का मुख्यालय, इस बार लॉकडाउन में भी हुआ मरकज

नई दिल्ली

सोमवार को तेलंगाना में 6 लोगों की कोरोना वायरस से मौत की खबर आई तो पूरे देश में हड़कंप मच गया। ये सभी लोग दिल्ली में आयोजित हुए एक बड़े धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर अपने घरों को लौटे थे। हाल ही में दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें करीब 300 से 400 लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम में शामिल 200 से ज्यादा लोगों में कोरोना के संक्रमण की आशंका है। पूरे देश में लॉकडाउन के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में राजधानी दिल्ली में हुए इस धार्मिक आयोजन ने सुरक्षा-व्यवस्था की पोल खोल दी है।

देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। अब केंद्र और राज्य सरकारें इन सभी लोगों को ढूंढकर उनकी जांच करने में जुटी हैं। ऐसे में कई लोगों की जिज्ञासा तबलीगी जमात को जानने की हो रही है। आखिर क्या है यह जमात और दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में क्यों हो रहा था इसका आयोजन।

मरकज तबलीगी जमात क्या है?

तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला। वहीं जमात का मतलब होता है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह। दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं।

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1927 में भारत से शुरू हुआ था आंदोलन

बताया जाता है कि इस आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। इसकी शुरुआत हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू हुई थी। इस जमात के मुख्य उद्देश्य “छ: उसूल” (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। एशिया में इनकी अच्छी खासी आबादी है। निजामुद्दीन में इस जमात का मुख्यालय है।

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1941 में हुई थी पहली मीटिंग


1927 में शुरू हुए इस संगठन को अपनी पहली बड़ी मीटिंग करने में करीब 14 साल का समय लगा। तब अविभाजित भारत में इस संगठन का कामकाज पूरी तरह से पूरे देश में जम चुका था और 1941 में 25,000 लोगों के साथ जमात की पहली मीटिंग आयोजित हुई। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया और दुनिया के अलग-अलग देशों में हर साल इसका सालाना कार्यक्रम होता है।

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बांग्लादेश में सबसे बड़ा जलसा

इस जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश में आयोजित होता है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान में भी इस जमात का एक सालाना जलसा आयोजित होता है। इन जलसों में दुनिया भर से बड़ी संख्या में मुसलमान शिरकत करते हैं।

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