कोरोना वायरस: इटली में 10 हज़ार मौतें, ग़लती कहां हुई? – BBC हिंदी

कोरोना वायरस का पहला केस चीन के वुहान शहर में बीते साल दिसंबर में सामने आया था. महज़ कुछ हफ़्तों में ही यह वायरस दुनिया के लगभग हर देश में पहुंच चुका है. लाखों लोग संक्रमित हैं और हज़ारों की जान जा चुकी है.

धरती का लगभग हर हिस्सा इस संक्रमण की चपेट में आ चुका है. अगर आंकड़ों के आधार पर बात करें तो दुनिया भर में क़रीब सात लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं जबकि मरने वालों की संख्या 33 हज़ार के पार पहुंच चुकी है.

हालांकि एक लाख से अधिक लोग री-कवर भी कर चुके हैं. संक्रमण के सबसे अधिक मामले अमरीका में हैं जबकि सबसे अधिक मौतें इटली में हुई हैं.

इटली में संक्रमण के फैलने से लेकर अभी तक दस हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

हालांकि संक्रमण को फैलने के लिए इटली ने कई सख़्त क़दम उठाए हैं, बावजूद इसके हर रोज़ यहां औसतन छह सौ मौतें हो रही हैं.

एंटोनिया मिलान में रहती हैं. वो अपनी कार में बैठी थीं तभी पुलिस ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा था. यह सिर्फ़ चेतावनी देने के लिए था कि उनके साथ बैठी उनकी सहयात्री पीछे की सीट पर बैठे और मास्क भी लगाए.

इटली के मिलान शहर में रहने वाली एक महिला ने बताया कि उनसे कहा गया है कि दो लोग एक साथ आगे की दोनों सीटों पर नहीं बैठ सकते हैं. यह महिला अपने एक रिश्तेदार से मिलने अस्पताल जा रही थी.

उनके रिश्तेदार अस्पताल में हैं लेकिन वो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं. वो अपनी दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अस्पताल में हैं.

इटली में लॉकडाउन है ऐसे में कहीं बाहर निकलना है तो उसके लिए ‘उचित कारण’ होना चाहिए.

इटली में प्रतिबंध का यह छठा सप्ताह है. ऐसे में अब ये सवाल उठने लगे हैं कि किसी और देश की तुलना में इटली में ही इतनी अधिक संख्या में मौतें क्यों हो रही हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए कोई नहीं बल्कि कई कारण ज़िम्मेदार हैं. सबसे बड़ा कारण जो यहा है कि देश की एक बड़ी आबादी उम्रदराज़ है. जापान के बाद इटली में दुनिया की सबसे अधिक बुज़ुर्ग आबादी रहती है.

कोरोना वायरस के बारे में जो एक चीज़ अभी तक स्पष्ट तौर पर पता है वो ये कि कोविड -19 सबसे अधिक बुज़ुर्गों को प्रभावित करता है. एक कारण टेस्ट के लिए अपनायी जा रही प्रक्रिया को भी माना जा रहा है, जिससे ये सही से पता ही नहीं चल पा रहा है कि कितने लोग संक्रमित हैं.

तोड़े-मरोड़े गए आंकड़े

मिलान के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. मासिमो गैल्ली का कहना है कि इटली में अभी तक जितने संक्रमित मामलों की पुष्टि की गई है वो पूरे संक्रमित लोगों की संख्या को नहीं दर्शाता है. उनका कहना है कि जो आँकड़े हैं वो बहुत अधिक हैं.

सिर्फ़ उन मामलों की जांच की जा रही है कि जिनमें संक्रमण का स्तर बहुत अधिक है. बाक़ी लोगों की जांच नहीं की जा रही है. इस वजह से मौत के आँकड़े बढ़ते जा रहे हैं.

इटली का लोम्बार्डी प्रांत यहां का सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ा है. हर रोज़ यहां पाँच हज़ार से अधिक स्वैब टेस्ट (जांच में इस्तेमाल होने वाला एक उपकरण) हो रहे हैं.

वो कहते हैं “अभी जो टेस्ट हो रहे हैं उससे कहीं अधिक टेस्ट किए जाने की ज़रूरत है क्योंकि हज़ारों की संख्या में ऐसे लोग घर में हैं जो डायग्नोसिस का इंतज़ार कर रहे हैं.”

इसके अलावा कोरोना वायरस के इलाज में लगे लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों के पास सुरक्षा आवरण और उपकरणों की भी कमी है.

दूसरों देशों के लिए यह एक चेतावनी भी है.

डॉ. मासिमो गैल्ली के मुताबिक़, “हमारे देश में एक नेशनल हेल्थ केयर सिस्टम है और यह बहुत अच्छी तरह काम कर रहा है. ख़ासतौर पर लोम्बार्डी में बावजूद इसके हमारा सिस्टम भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़,”अस्पतालों में चमत्कारिक तौर पर बिस्तरों की संख्या में इज़ाफ़ा किया गया है. लेकिन दवाइयों की कमी हो रही है और यह सबसे बड़ी परेशानी है. यह एक बड़ी समस्या है लेकिन दूसरे देश भी यह कमी महसूस करेंगे.”

बुज़ुर्गों को है सबसे अधिक ख़तरा

इटली के सरकारी हेल्थ इंस्टिट्यूट के मुताबिक़, इटली में अभी तक जितने लोगों की मौत हुई है अगर उनकी औसत उम्र निकाली जाए तो यह 78 वर्ष है.

विशेषज्ञों के मुताबिक़,अभी तक इटली की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पहले से मौजूद चिकित्सा सेवाओं के साथ बहुत से बुजुर्गों को बचाने में कामयाब रही है.

एक ओर जहां मौत के आँकड़े लगातार बढ़ रहे हैं वहीं कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जो उम्मीद जगाते हैं.

इटली की 102 साल की ग्रोनडोना कोरोना वायरस से रिकवर होकर वापस लौटी हैं. वो बीस दिनों तक अस्पताल में थीं. देश के उत्तरी इलाक़े में बसे शहर जेनेवा में डॉक्टरों ने उनका और उनके भांजे का इलाज किया. जिसके बाद से वो दोनों ठीक हैं.

प्रतिबंधों की गंभीरता

इसी बीच कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इटली ने अपने यहां कोरोना वायरस को रोकने के लिए जो प्रतिबंध लगाए हैं वो कहीं अधिक हैं.

चीन का वुहान शहर वो पहला क्षेत्र था, जहां लॉकडाउन किया गया था. वुहान शहर को जनवरी में ही बंद कर दिया गया था. वहां जाने और वहां से आने वाली सभी हवाई यात्राओं को प्रतिबंधित कर दिया गया था. ट्रेनें रोक दी गईं, बसें बंद कर दी गईं और सभी हाइवे की सीमाओं को बंद कर दिया गया.

इटली में सरकार ने ग़ैर-वाजिब वजह से घर से बाहर निकलने वालों पर क़रीब दो लाख 49 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाए जाने का आदेश जारी किया है.

इटली के सबसे अधिक कोरोना प्रभावित इलाके लोम्बार्डी के नागरिकों के अपने घर से बाहर वर्जिश करने के अधिकार छीन लिए गए हैं. वे अपने कुत्तों को भी घर से 200 मीटर से अधिक दूरी तक घुमाने नहीं ले जा सकते.

नए घोषित नियमों में कहा गया है कि 15 अप्रैल तक कोई भी शख़्स न तो घर के बाहर वॉक कर सकेगा और न ही दौड़ सकेगा. उसे बाइक पर भी बाहर जाने की मनाही होगी. (अगर उनके पास लॉन है तो वो उसमें कसरत कर सकते हैं. )

घर से बाहर अगर कोई शख़्स किसी भीड़ का हिस्सा बनता है तो उस पर 5000 यूरो तक का जुर्माना लगाया जा सकता है जो कि इटली के दूसरो हिस्सों में लगाए जा रहे जुर्माने से 25 गुणा अधिक है.

अगर किसी के पास दो घर हैं तो उसे सिर्फ़ अपने मुख्य घर में रहने की इजाज़त होगी और वो दूसरे घर की तरफ़ जा भी नहीं पाएगा.

सभी पर्यटक स्थल जिसमें सभी होटल और फ़ॉर्म हाउस शामिल हैं बंद कर दिए गए हैं. लेकिन ये प्रतिबंध विश्वविद्यालय डॉरमेटरीज़ और धार्मिक संस्थाओं द्वारा प्रतिबंधित रिहायशी स्थलों पर नहीं लागू होंगे.

इसके अलावा एक परिवार के एक शख़्स को ही किसी दुकान के अंदर जाने की अनुमति होगी. खाद्य सामग्री और पेय पदार्थ बेचने वाली वेंडिंग मशीन को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है.

सभी तरह के निर्माण कार्य पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि आवश्यक सेवाओं में काम करने वाले लोगों, ख़ासकर सुपर मार्केट के कैशियरों का हर घंटे पर तापमान लिया जाएगा. सार्वजनिक स्थान पर अगर पुलिस किसी को रोकती है तो उसे उसका तापमान लेने का अधिकार होगा. लोम्बार्डी की तरह के ही कड़े क़दम इटली के तीसरे सबसे बड़े प्रभावित इलाक़े पीडमौंट में भी उठाए गए हैं.

प्लेबैक आपके उपकरण पर नहीं हो पा रहा

एक ओर जहां बहुत से लोग इन प्रतिबंधों की आलोचना कर रहे हैं वहीं कुछ लोगों की राय इसके बिल्कुल उलट है. उनका मानना है कि इटली में जो प्रतिबंद लगाए गए हैं वो चीन की तुलना में अभी भी उतने सख़्त नहीं हैं जितने चीन में थे.

यूरोपियन एंड इटैलियन सोसायटी फ़ॉर वायरोलॉजी के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ. पालू के अनुसार, इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है.

वो कहते हैं, “हमसे कुछ संवैधानिक अधिकार बेशक छीन लिए गए हैं लेकिन यह सबसे बेहतरीन कदम है जो एक लोकतंत्र में उठाया जा सकता है.”

लेकिन जिस तरह से इटली में मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं ऐसा लगता तो नहीं कि इटली फिलहाल इन प्रतिबंधों में कोई ढील देगा.

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