सिंधिया के इस्तीफे के बाद फिर बढ़ी चर्चा- कांग्रेस में सब ठीक नहीं? राहुल ने रीट्वीट की पुरानी तस्वीर – Navbharat Times

सिंधिया और राहुल गांधी
हाइलाइट्स

  • कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिंधिया के साथ की अपनी एक पुरानी तस्वीर बिना कुछ लिखे शेयर की
  • राहुल ने दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के चयन के समय ट्वीट किया था
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार ने कहा- सिंधिया का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण, इससे कांग्रेसियों को दुख हुआ
  • हरियाणा के विधायक कुलदीप बिश्नोई बोले, सिंधिया का इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका

नई दिल्ली

कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद कुछ नेताओं ने आशंका जताई है कि उनके जाने से पुराने नेताओं द्वारा स्थापित यह धारणा टूटने लगेगी कि पार्टी में सब सही है। सिंधिया का इस्तीफा पार्टी में बढ़ते नेतृत्व के संकट की ओर इशारा कर रहा है। साथ ही इससे पुराने और युवा नेताओं के बीच संघर्ष भी सामने आ रहा है। इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिंधिया के साथ की अपनी एक पुरानी तस्वीर बिना कुछ लिखे रीट्वीट की है।

इस तस्वीर के साथ राहुल ने ट्वीट दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के चयन के समय किया था। उस समय ट्वीट में उन्होंने विचारक लियो टॉलस्टॉय के इस कथन को लिखा था, ‘धैर्य और समय दो सबसे ताकतवर योद्धा हैं।’

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दिलचस्प बात यह है कि तब राहुल गांधी ने इस तस्वीर को ट्वीट करके संदेश देने की कोशिश की थी कि पार्टी में सब कुछ ठीक है लेकिन अब सच पूरी तरह सामने आ गया है कि सब कुछ ठीक तो नहीं था। दरअसल मध्य प्रदेश में चुनाव परिणाम आने के बाद सिंधिया गुट में असंतोष की खबरें सामने आई थीं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों की ही नजरें थीं। ऐसे में राहुल गांधी ने दोनों दावेदारों कमलनाथ और सिंधिया के साथ अपने आवास पर बैठक कर बाद में यह तस्वीर ट्वीट की थी। बुधवार को उन्होंने फिर से यही तस्वीर शेयर की।

उधर, कांग्रेस के भीतर कई नेताओं का धैर्य शायद अब जवाब दे रहा है। पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के अन्य युवा नेताओं में भी विरोध का झंडा उठाने या अन्य पार्टियों में अपने लिए जगह तलाशने की इच्छा बढ़ेगी। हमें कई बार कांग्रेसी नेताओं के बीजेपी के साथ बातचीत करने की खबरें सुनाई देती हैं। अब इनमें तेजी आ सकती है।’

हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इसे सिर्फ अटकल बताया है कि सिंधिया के जाने से अन्य नेता भी उनके नक्शेकदम पर चलने लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति को अपनी महत्वाकांक्षा रखने और अपना फैसला लेने का हक है। उन्होंने फैसला लिया है, कांग्रेस पार्टी ने इसे समझा है और फिलहाल मामले को यही छोड़ने का निर्णय लिया है।’

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यह पूछने पर कि कुछ अन्य युवा नेताओं में भी बेचैनी है और कई मसले भी हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं किसी अटकल पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि यहां पहुंच कर सिंधिया का इस्तीफा बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे कांग्रेसियों को दुख हुआ है। उन्होंने कहा, ‘आत्मावलोकन करने और इस्तीफे के प्रभाव से निपटने की जरूरत है। इस सिलसिले में कई कदम उठाने पड़ेंगे और मुझे विश्वास है कि कांग्रेस आलाकमान मुद्दे की गंभीरता को समझेगा।’

सिंधिया समर्थक विधायकों ने कहा, पूरी तरह 'महाराज' के साथ
सिंधिया समर्थक विधायकों ने कहा, पूरी तरह ‘महाराज’ के साथकर्नाटक के बेंगलुरु में कैद कांग्रेस के बागी विधायकों ने कहा है कि वह पूरी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हैं। विधायकों ने इस संबंध में कई विडियो जारी करते हुए अपने संदेश मीडिया के सामने रखे हैं।

पार्टी के एक अन्य नेता अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजर रही है और कुछ ताकतें उस पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं जो देश को एकजुट रखती है। एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के सिद्धांतों का पालन करने वाले लोगों का कर्तव्य है कि इस परीक्षा की घड़ी में उसके साथ खड़े रहें।’ मंगलवार को सिंधिया के इस्तीफे की घोषणा के बाद सबसे पहले पूर्व सांसद और हरियाणा के विधायक कुलदीप बिश्नोई ने इसकी आलोचना की और कहा कि यह पार्टी के लिए बड़ा झटका है और पार्टी को जनता से जुड़े युवाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है।

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बिश्नोई ने कहा, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। वह पार्टी की रीढ़ थे और नेतृत्व को उन्हें पार्टी में रहने के लिए मनाने के लक्ष्य से और मेहनत करनी चाहिए थी। उनकी तरह ही देशभर में कांग्रेस के तमाम ऐसे नेता है जो अलग-थलग और असंतुष्ट महसूस कर रहे हैं। भारत की सबसे पुरानी पार्टी को ऐसे युवा नेताओं को सशक्त करने की जरूरत है जिनमें कड़ी मेहनत करने और जनता के साथ जुड़ने की क्षमता है।’

(भाषा के इनपुट के साथ)

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