- मंत्री जीतू पटवारी के साथ बेंगलुरु में हुई झड़प
- नाराज विधायकों को मनाने बेंगलुरु पहुंचे थे जीतू
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक उठापठक लगातार जारी है. राज्य के दोनों बड़े दल कांग्रेस और बीजेपी अपना-अपना खेमा मजबूत करने का कोई दांव छोड़ना नहीं चाह रही हैं. इसी सिलसिले में कमलनाथ सरकार से नाराज और सिंधिया गुट के विधायकों को मनाने और वापस भोपाल लाने के उद्देश्य से मंत्री जीतू पटवारी और लखन सिंह बेंगलुरु पहुंचे थे.
बताया जा रहा है कि दोनों ही नेता जब उस रिजॉर्ट पर पहुंचे जहां सिंधिया गुट के विधायकों को रखा गया था तो कहा जा रहा है कि वहां उन दोनों के साथ पुलिस की कहासुनी और धक्कामुक्की भी हुई.
पुलिस ने जीतू को हिरासत में लिया
जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने बेंगलुरु पुलिस पर आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी और लखन सिंह को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. दोनों मंत्री विधायक मनोज चौधरी से मिलने बेंगलुरु गए थे.
बीजेपी की सत्ता भूख अब हवस में बदली :
बीजेपी द्वारा मप्र कांग्रेस के विधायकों का अपहरण कर उन्हें बैंगलोर के एक रिसॉर्ट में कैद रखा गया है।
जब विधायक के पिता मिलने पहुँचे तो उनसे बदतमीज़ी और साथ गये मंत्री से मारपीट कर उन्हें गिरफ़्तार किया।
मोदी जी,
देश को शर्मसार मत करिये। pic.twitter.com/1MO2y5UJYj
— MP Congress (@INCMP) March 12, 2020
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि हमारे मंत्रियों पर हमला भी किया गया है. अगर बेंगलुरु पुलिस हमारे मंत्रियों और विधायकों की फौरन रिहाई नहीं करती है, तो हम कोर्ट जाएंगे. बेंगलुरु में कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के बीच झड़प की सूचना भी सामने आई है.
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#WATCH Karnataka: Scuffle broke out between Congress leader Jitu Patwari and a police personnel, while Patwari was trying to meet the Madhya Pradesh rebel MLAs at Embassy Boulevard in Bengaluru. pic.twitter.com/OJrGbGD663
— ANI (@ANI) March 12, 2020
विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के 7 बागी विधायकों को भेजा नोटिस
मध्य प्रदेश के विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के 7 बागी विधायकों को नोटिस भेजा है. स्पीकर ने सभी विधायकों को उनके आधिकारिक निवास पर नोटिस भेजा है. इससे पहले कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों को स्पीकर ने नोटिस भेजा था. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि मैं कायदे और कानूनों से बंधा हुआ हूं.
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विधानसभा स्पीकर के नोटिस के बाद हर हाल में विधायकों को सदन में उपस्थित होना होगा. सदन में उन्हें बताना होगा कि किसी दबाव के चलते उन्होंने पार्टी से बगावत की है, या अपनी इच्छा से उन्होंने अपनी पार्टी से अलग रुख अख्तियार किया है.