मध्य प्रदेश का सियासी गणित, यहां पढ़िए असली कहानी – Zee Hindustan

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजनीति ने अचानक करवट बदली है. जिसके नतीजे में ये कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार से ‘नाथ’ शब्द छूट जाएगा और ‘कमल’ की सरकार कायम हो जाएगी.

विधानसभा का गणित
मध्य प्रदेश में विधानसभा का गणित समझिए. बीजेपी के पास 107 सीटें हैं और कमलनाथ सरकार के पास अपनी पार्टी के 114 विधायकों में से 22 विधायकों का साथ छूटने और अन्य 7 विधायकों के समर्थन से आंकड़ा महज़ 99 तक ही पहुंचता है.
विधानसभा सीटों में 2 सीटें खाली हैं और इस तरह विधानसभा की स्ट्रेन्थ बच गई कुल 230 सीटों में से 2 खाली सीटें घटा दें और 22 कांग्रेस के बागी विधायकों को घटा दें तो स्ट्रेन्थ बचती है 206 विधायकों की और इस हिसाब से बहुमत के ज़रूरी है 103 सीटें, ऐसे में बीजेपी 107 सीटों के साथ सरकार बना ले जाएगी जबकि कमलनाथ का एमपी में सपना आधे रास्ते में ही चकनाचूर हो जाएगा.

विधानसभा का ये नम्बर गेम बदल भी सकता है. बागी विधायकों की संख्या पर ही सब कुछ निर्भर करता है ऐसे में आनेवाला 48 घंटा बेहद अहम होगा. जब मध्यप्रदेश में पावर का खेल खेला जाएगा.

मध्य प्रदेश में भाजपा के लिए भविष्य की चुनौतियां
एमपी अजब है, एमपी गजब है. अभी 2 साल भी पूरे नहीं हुए और कांग्रेस में ऐसी फूट पड़ी कि सरकार हाथ से निकल रही है. हालांकि कमलनाथ सरकार के जाने के बाद और बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी कमल के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी. फिलहाल मौजूदा स्थिति में विधानसभा में बीजेपी बहुमत में दिखती है लेकिन आनेवाले वक़्त में एमपी में बीजेपी सरकार कायम रहेगी या नहीं ये उन सीटों पर निर्भर करेगा जो कांग्रेस के बागी विधायकों की वजह से खाली होंगी, प्लस वो 2 सीटें जो पहले से खाली हैं.
अभी के हिसाब से देखें तो कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा आया है और खाली दो सीटों को मिलाकर 24 सीटों पर आगे बीजेपी सरकार का भविष्य तय होगा.

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चुनाव मैदान में होगा फैसला
कहने का मतलब कांग्रेस और बीजेपी की अगली जंग चुनावी रणभूमि में होगी और इन सीटों पर जीत और हार का आंकड़ा ही तय करेगा कि मध्य प्रदेश में आग जाकर किसकी सरकार कायम होगी. हालांकि पहले ही फूट का शिकार हो चुकी कांग्रेस के लिए ये चुनौती बहुत बड़ी होगी कि वो अपनी सीटों को वापस हासिल कर सके.

230 सीटों की फुल विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 116 सीटें चाहिए, मतलब 9 सीटों पर जीत बीजेपी को सत्ता तक पहुंचा देगी. जबकि कांग्रेस को ये आंकड़ा छूने के लिए 24 की 24 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी. हालांकि पहले से साथ दे रहे बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायकों की संख्या को भी मिला दिया जाए तो भी कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी.

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कांग्रेस के राह की मुश्किलें
मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस के सामने बीजेपी से कहीं ज़्यादा भविष्य की चुनौतियां हैं.

दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस में ये जंग यूथ बनाम ओल्ड हो चुकी है और ये पार्टी को खामियाजा पहुंचाने के काफी है, जबकि बीजेपी के सामने ऐसी कोई चुनौती नहीं है. ऐसे में आनेवाले समय में भी संभावनाएं ज़्यादा है कि बीजेपी सरकार बनाने के बाद खुद को सत्ता में कायम रखने में कामयाब रहेगी

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