कांग्रेस अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से खोना नहीं चाहती हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी ज्योतिरादित्य के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर नाराज हैं। ज्योतिरादित्य की नाराजगी कमलनाथ के व्यवहार को लेकर है। ज्योतिरादित्य का मानना है कि कमलनाथ का रिमोट कंट्रोल पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के हाथ में है।
क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस टूट जाएगी?
कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं में हैं। इसी आधार पर कयास लगाया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना वजूद बनाए रखने के लिए कमलनाथ सरकार को झटका दे सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व महासचिव और राज्यसभा सांसद का कहना है कि भाजपा कर्नाटक जैसा प्रयोग मध्यप्रदेश में भी करना चाहती है।
सूचना यह भी है कमलनाथ मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा सीट दिए जाने को पहली प्राथमिकता में नहीं दे रहे हैं। इससे भी ज्योतिरादित्य की नाराजगी बढ़ गई है। ज्योतिरादित्य का कहना है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनवाने में उनका भी योगदान है और इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। ऐसे में एक संभावना यह है कि कांग्रेस पार्टी में अपनी उपेक्षा को देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़ा फैसला कर सकते हैं।
क्या कांग्रेस छोड़ देंगे ज्योतिरादित्य?
पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि वह युवा हैं। स्व. माधव राव सिंधिया के बेटे हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में अच्छी पकड़ रखते हैं। पूरे राज्य में भी उनके काफी चाहने वाले हैं, लेकिन इसके साथ-साथ वह कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी दोस्तों में आते हैं।
यह ज्योतिरादित्य की दबाव की राजनीति हो सकती है, लेकिन उनके लिए कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का फैसला बहुत आसान नहीं होगा। हालांकि पिछली कांग्रेस कार्य समिति की बैठक और फिर कांग्रेस अध्यक्ष की मौजूदगी में होने वाली बैठक को वह बीच में ही छोड़कर चले गए थे। इस बैठक में कमलनाथ भी मौजूद थे।
ज्योतिरादित्य ने छोड़ा साथ तो क्या होगा?
ऐसा होने पर वह भाजपा के साथ मिलकर या सहयोग से नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि अभी इसकी संभावना कम है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद का कहना है कि इतनी जल्दी इतने बड़े निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं है।