उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर और दीपक कबीर की तस्वीरें भी हैं।
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के कथित तौर पर आरोपियों की सार्वजनिक फोटो लगाई गई थी। इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी है। मामले की सुनवाई पहले 10 बजे से होनी थी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की गुजारिश के बाद सुनवाई रविवार को तीन बजे शेड्यूल की गई।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर विषय है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और सोमवार को दोपहर दो बजे फैसला सुनाया जाएगा।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे। पोस्टर लगाने को लेकर कोर्ट ने कहा कि यह राज्य के साथ-साथ हर नागरिक का भी अपमान है।
सुनवाई से पहले हाई कोर्ट सोशल वर्कर, पूर्व आईपीएस की फोटो वाली होर्डिंग्स लगाने को लेकर सख्ती से पेश आया और कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को तलब किया है। कोर्ट ने पूछा कि किस नियम के तहत यह कार्रवाई की गई है। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि क्या सरकार लोगों के निजी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्थानों का अतिक्रमण नहीं कर रही है। उम्मीद है कि सुनवाई से पहले उचित कदम उठाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर और दीपक कबीर की तस्वीरें भी हैं। पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी के लिए होर्डिंग में कहा गया है कि उन्होनें 19 दिसंबर को तोड़फोड़ की जिससे करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जो उन लोगों से वसूला जाएगा।
हालांकि ये सभी लोग जमानत पर बाहर हैं और कहा है कि वे अपनी संपत्ति कुर्क करने के लिए सरकार के किसी भी कदम को अदालत में चुनौती देंगे। एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान सदाफ जाफर ने सरकार के इस कदम को अनैतिक बताते हुए कहा कि “मैं फरार नहीं हूं … हमारे नाम और पते यहां रखना निराश करने वाला है।”
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