राकेश खंडूड़ी, अमर उजाला, देहरादून
Updated Thu, 05 Mar 2020 11:27 AM IST
त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरीश रावत
– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
सार
- गैरसैंण की इस यात्रा में गढ़वाली, डीडी पंत और त्रिपाठी का संघर्ष भी
विस्तार
पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो, इस दिशा में त्रिवेंद्र सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है। ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा करके मुख्यमंत्री ने अपनों और विरोधियों, सबको हैरत में डाल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया था। विधानसभा भवन बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दम दिखाया और अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजधानी का आकार ले रहे गैरसैंण के सपने में रंग भर दिए हैं।
लेकिन गैरसैंण के ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने तक की यात्रा के बीच नेतृत्व, संघर्ष और सत्याग्रहों के कई ऐसे पड़ाव रहे, जिनके बगैर न उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आ पाता और न आज राजधानी का ख्वाब हकीकत में बदलता दिखाई देता। राजधानी का यह सपना दशकों पुराना है।
साठ के दशक में वीरचंद्र सिंह गढ़वाली ने राजधानी के लिए खूब आंदोलन लड़ा। 1989 में खांटी सियासतदां डीडी पंत और विपिन चंद्र त्रिपाठी ने पहाड़ के जनमानस की आंखों में गैरसैंण के सपने को जगाए रखा। अपनी आखिरी सांस तक वे इस सपने को जिंदा रखने के लिए लड़े।
गैरसैंण राज्य आंदोलनकारियों की राजधानी बन गई
आंदोलनकारियों की जिद ने 1994 में तत्कालीन मुलायम सरकार को कौशिक समिति बनाने को मजबूर किया। कौशिक समिति ने गैरसैंण को राजधानी के उपयुक्त पाया। तब से गैरसैंण राज्य आंदोलनकारियों की राजधानी बन गई और इसका नाम चंद्रनगर रख दिया गया।
वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में कैबिनेट बैठक की। भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन की नींव रखी। हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने विधानसभा भवन का निर्माण शुरू कराया। तमाम आलोचनाओं को नजरांदाज करते हुए रावत ने बहुत तेजी से विधानसभा की भव्य इमारत खड़ी की।
विधानसभा में संकल्प लिया कि हर बजट सत्र गैरसैंण में होगा। लेकिन वे गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा करने का साहस नहीं दिखा सके। भाजपा ने अपने चुनावी दृष्टिपत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का वादा शामिल किया। दो साल तक सरकार गैरसैंण को लेकर बेफिक्र सी दिखी। लेकिन तीसरे साल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा करके बड़ा सियासी दांव चला है।
आंदोलनकारियों का सपना हुआ साकार : विजय बहुगुणा
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि पिताजी ने सपना देखा, मैंने उसे रूप देने की कोशिश की और आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उसमें रंग भर दिए।
ग्रीष्मकालीन राजधानी पर बहुगुणा ने मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दीं। बहुगुणा ने कहा कि इसका यश उनके पिता स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को जाता है, जिन्होंने अलग पर्वतीय मंत्रालय बनाया।
उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर उस सपने को आकार देने का प्रयास किया और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उसमें रंग भरने का काम किया। उन्होंने कहा कि आज राज्य आंदोलनकारियों का सपना साकार हुआ। प्रदेश सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर शहीद आंदोलनकारियों को सच्ची श्रद्धांजलि दी।
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गैरसैंण राज्य आंदोलनकारियों की राजधानी बन गई