कोरोना का कहर: शी चिनफिंग की महात्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐंड रोड’ पहल को भी लगा झटका, विदेशों में धीमी हुईं परियोजनाएं – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • चीन में कोरोना वायरस का असर उसके महात्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव पर भी पड़ रहा है
  • पाकिस्तान, श्रीलंका और मलेशिया में इसके निवेश वाली परियोजनाओं की गति धीमी पड़ गई है
  • इसकी वजह चीनी श्रमिकों पर लगाया गया ट्रैवल बैन और चीनी आपूर्ति को मिलने में हो रहा डिले है

पेइचिंग

शी चिनफिंग की महात्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव को दुनियाभर में चीनी प्रभाव को बढ़ाने के एक जरिये के रूप में देखा जा रहा था। वहीं, कोरोना वायरस के कारण विभिन्न देशों में व्यापार और आधारभूत संरचनाओं के निर्माण से जुड़ी यह योजना बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। घातक कोरोना वायरस विदेशों में चीनी निर्माण और निवेश में बाधा पैदा कर रहा है जिससे चीन की सालों की योजना व अरबों डॉलर की आर्थिक कूटनीति के लिए खतरा पैदा हो गया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-थलग केंद्र में रखे जाने के कारण चीनी कर्मचारियों को विदेशी निर्माण साइट पर नहीं जाने दिया जा रहा है, विदेशी परियोजना के लिए काम कर रहे घरेलू कंपनियों में श्रमिकों की कमी हो गई है और क्योंकि ऐसा डर है कि इन श्रमिकों से स्थानीय लोगों को वायरस का खतरा पैदा हो सकता है। दिसंबर में वायरस का पहला केस आने के बाद जिन परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा है उनमें इंडोनेशिया की 5.5 बिलियन डॉलर की हाई स्पीड रेल लाइन भी शामिल है। बता दें कि बेल्ड ऐंड रोड के तहत मलयेशिया, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी चीन कई परियोजनाएं चला रहा है। चीन में कोरोना के मामले धीमे हो गए हैं, लेकिन ईरान, इटली और साउथ कोरिया में मामले बढ़ते जा रहा है जिससे दुनियाभर के देशों में चिंता बढ़ गई है।



क्या हड़बड़ी में फिर परियोजना शुरू कर देंगे शी चिनफिंग


अमेरिकी सरकार के सलाहकार और वॉशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज में चीनी पावर प्रोजेक्ट से जुड़े बोनी ग्लैसर ने कहा, ‘परियाजनाओं की देरी और रद्द होने का जहां खतरा बना हुआ है, वहीं इसके जल्द दोबारा शुरू होने का भी खतरा है।’ ग्लैसर कहते हैं, ‘शी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों की जिंदगी पटरी पर आ रही है और वह फिर से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ता देखना चाहते हैं। बीआरआई परियोजनाओं को फिर से शुरू करना संभवतः उनके लक्ष्यों में होगा, न सिर्फ आर्थिक वजहों से बल्कि, बीआरआई की गतिविधि चीन के राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने का एक कारक है।’

वायरस के संक्रमण से पहले शी देश में आर्थिक मंदी और साझीदार देशों के विरोध को देखते हुए ‘बेल्ड ऐंड रोड’ पहल को रिब्रांड करना चाह रहे थे। लेकिन वायरस ने अलग तरह की बाधाएं भी पैदा की हैं, क्योंकि कई देशों ने चीनी नागरिकों को या तो बैन कर दिया है या फिर उन्हें अलग केंद्र में रखा जा रहा है। बीआरआई परियोजना से जुड़े अधिकारी ने बताया कि वायरस को रोकने में नाकामी के कारण परियोनाओं पर असर पड़ेगा।

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श्रीलंका में कोलंबो पोर्ट परियोजना पर काम कर रहा है चीन

वहीं, एक अन्य चीनी अधिकारी ने बताया कि हालांकि मुख्य परियोजनाओं पर असर सीमित है और बड़ा असर कुछ समय तक ही रहेगा। हालांकि, असोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशिन नेशंस में चीनी राजदूत डेंग जिजुन सकारात्मक रुख रखते हैं। उन्होंने 21 फरवरी को पत्रकारों को इंडोनेशिया में कहा था, ‘बेल्ड ऐंट रोड पहल के तहत संबंधित देशों और चीन के बीच व्यापार और निवेश में चुनौतियां हैं।’ उन्होंने कहा कि चीन बीआरआई के तहत जुड़ी कंपनियों और बिजनस को सपोर्ट कर रहा है ताकि वे सामान्य तरीके से अपना काम फिर से शुरू कर सकें।



पाकिस्तान, श्रीलंका पर क्या हो रहा असर


पाकिस्तान में बीआरआई के तहत कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है जिसमें बिजली व निर्माण कार्य शामिल हैं। दो कंपनियां एंग्रो पॉलिमर ऐंड केमिकल्स लिमिटेड और पाकिस्तान ऑक्सीजन लिमिटेड का कहना है कि हमारी परियोजनाएं धीमी हुई हैं क्योंकि चीनी ठेकेदारों ने बताया है कि चीन की मुख्यभूमि में संबंधित सुविधाओं पर असर पड़ा है। वहीं, श्रीलंका में भी व्यापक बाधाएं पैदा हुई हैं जहां पोर्ट सिटी कोलंबो को बनाने में चीन का निवेश लगा हुआ है। सिलॉन चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने हाल ही में बताया था कि करीब 50 कंपनियों के सर्वे में पाया गया है कि कोरोना वायरस के कारण बिजनस प्रभावित हुआ है। सरकारी सड़क और अपार्टमेंट निर्माण परियोजना, जिनमें चीनी ठेकेदार जुड़े हैं,उनमें धीमापन आया है।

मलयेशिया की बात करें तो यहां 10.4 बिलियन डॉलर के ईस्ट कोस्ट रेल लिंक के काम में 200 चीनी कामगार भी शामिल हैं जिनमें से कुई कोरोना के केंद्र वुहान से हैं। उन्हें मलयेशिया में दोबारा प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है, वहीं बाकी के कामगार 14 दिन तक पृथक केंद्र में रहने के बाद वापस आने दिया जाएगा।

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