सुप्रीम कोर्ट की यह सख्ती मंदर के उस वायरल वीडियो के बाद आई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर न्यायपालिक पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने वीडियो में कथित तौर पर कहा कि न्यायापालिका में अब भरोसा नहीं रह गया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषणों के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर खुद अपनी एक स्पीच के लिए मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (4 मार्च) को उनकी याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक हर्ष मंदर न्यायपालिक के खिलाफ दिए अपने बयान पर सफाई नहीं देंगे उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी।
कोर्ट की यह सख्ती मंदर के उस वायरल वीडियो के बाद आई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर न्यायपालिक पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने वीडियो में कथित तौर पर कहा कि न्यायापालिका में अब भरोसा नहीं रह गया है ऐसे में अंतिम न्याय सड़कों पर होना है।’ वहीं मंदर की तरफ से उनकी वकील करुणा नंदी ने कोर्ट को सफाई दी। उन्होंने कहा कि हर्ष मंदर ने ऐसी कोई बात नहीं की है।
कोर्ट ने उनकी इस टिप्पणी पर सख्ती दिखाते हुए उनकी वकील करुणा नंदी से कहा कि जबतक वे हर्ष मंदर की हेटस्पीच की ट्रांसक्रिप्ट नहीं देंगी और वे सफाई नहीं दे देते तब तक उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। उनके आरोप बेहद गंभीर हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे ने मंदर की वकील से पूछा ‘कई लोगों ने कानून की महिमा का उल्लंघन किया है। क्या वे भी उनमें से एक हैं? सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि आज उनकी सुनवाई नहीं होगी। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष मंदर की जामिया इलाके में एक स्पीच की ट्रांसक्रिप्ट भी दी। यही नहीं मेहता ने मंदर द्वारा एक पुरानी याचिका का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से राष्ट्र के प्रति वफादारी निभाने का आह्वान किया था।
[embedded content]
बता दें सामाजिक कार्यकर्ता ने चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के भड़काऊ भाषणों के लिए उनपर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
Hindi News से जुड़े अपडेट और व्यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल के साथ लिंक्डइन पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App