- कांग्रेस का एक डेलिगेशन नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के उस इलाके में जाएगा यहां हिंसा हुई थी
- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस डेलिगेश का हिस्सा हो सकते हैं
- सवाल उठता है कि जहां स्थिति अभी पूरी तरह कंट्रोल में नहीं है वहां राहुल का जाना कितना ठीक
नई दिल्ली
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में भड़की दंगों की चिंगारी अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुई थी कि इस पर राजनीति तेज हो गई है। आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हिंसा प्रभावित इलाकों में जा रहे हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर राहुल गांधी किस तरह की राजनीति करना चाहते हैं। राहुल अबतक ऐंटी-सीएए रैलियों में शामिल होते रहे हैं और खुलकर इसका विरोध जताते हैं। हालांकि इस समय हिंसा प्रभावित इलाकों में जाकर राहुल क्या संदेश देना चाहते हैं?
आपको बता दें कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा सीएए प्रदर्शनों से ही शुरू हुई थी। यहां सबसे पहले सीएए के समर्थन और विरोध कर रहे लोगों के बीच ही विवाद शुरू हुआ था। ऐसे में सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी जैसे बड़े नेता का ऐसे इलाके में अभी जाना ठीक होगा जहां माहौल फिलहाल पुलिस और फोर्स के दमपर कंट्रोल में है। अगर राहुल गांधी को देख भीड़ भड़की तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?
सवाल तो यह भी उठते हैं कि राहुल गांधी ने उस दौरान बयान क्यों नहीं दिया जब यह हिंसा भड़कनी शुरू ही हुई थी। उस दौरान उनकी तरफ से प्रदर्शनकारियों और उनके खिलाफ बैठे लोगों से शांत होने की अपील क्यों नहीं की गई थी।
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बीजेपी ने लगाया भड़काने का आरोप
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी वहां जाना चाहते हैं तो जाएं। साथ ही यह आरोप भी लगाया कि इससे पहले उनकी मां सोनिया गांधी ने खुद लोगों को भड़काया था। लोगों को भ्रमित किया था।
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कांग्रेस नेता का भी आया था नाम
बता दें कि दिल्ली हिंसा में कांग्रेस से पूर्व काउंसलर इशरत जहां का भी नाम आया था, उनकी गिरफ्तारी भी हुई है। हालांकि, राहुल गांधी ने इसपर भी कुछ नहीं कहा था।