- अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौता
- भारत ने शांति समझौते का किया समर्थन
- पड़ोसी मुल्क में शांति चाहता है भारत: MEA
कतर की राजधानी दोहा में वर्षों लंबी बातचीत के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर शनिवार को मुहर लग ही गई. अमेरिका के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर के लिए तालिबान प्रतिनिधिमंडल कतर पहुंचा, जहां इस समझौते पर सहमति बनी. वहीं भारत ने इस समझौते का समर्थन किया है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘भारत की सुसंगत नीति उन सभी अवसरों का समर्थन करती है जो अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता ला सकते हैं. हमने ध्यान दिया कि अफगानिस्तान में सरकार, लोकतांत्रिक राजनीति और नागरिक समाज सहित पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम ने इन समझौतों से उत्पन्न शांति और स्थिरता के अवसर और आशा का स्वागत किया है.’
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रवीश कुमार ने कहा, ‘एक पड़ोसी के रूप में भारत एक शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सरकार और अफगानिस्तान के लोगों को सभी समर्थन देना जारी रखेगा, जहां अफगान समाज के सभी वर्गों के हित सुरक्षित रहे.’
समझौते में क्या है?
समझौते के तहत अमेरिका 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैन्य बलों को निकाल लेगा. अफगानिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से घोषणा की है कि तीन से चार महीनों में ही अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की संख्या घटाकर 8,600 की जाएगी. साथ ही अमेरिका-तालिबान शांति समझौते में किए गए वादों को 135 दिन में लागू किया जाएगा. इसके बाद 14 महीने के भीतर अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी बची हुई सेना को पूरी तरह से वापस बुला लेगा.