अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते में पाकिस्तान को दिखने लगा अपना फायदा – आज तक

  • US ने 18 साल पहले तालिबान को किया था सत्ता से बाहर
  • अफगानिस्तान में हमेशा तालिबान का समर्थक रहा है PAK

कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए. हालांकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस सीन में नजर नहीं आए. वहीं, अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते से पाकिस्तान बेहद खुश दिख रहा है. इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान इस समझौते में अपना फायदा देख रहा है. पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच करीबी रिश्ते रहे हैं, जबकि अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार से पाकिस्तान की तनातनी हमेशा से रही है.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी आतंकवाद के लिए हमेशा पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. अफगानिस्तान में होने वाले हमलों के लिए अशरफ गनी पाकिस्तान को ही जिम्मेदार बताते आ रहे हैं. अशरफ गनी अंतरराष्ट्रीय मंच से भी पाकिस्तान को निशाने पर लेते रहे हैं. हालांकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के भारत के साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं. अशरफ गनी की भारत से दोस्ती पाकिस्तान को चुभती रही है.

पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में अमेरिका के खिलाफ तालिबान का समर्थन करने का भी आरोप लगता रहा है. पाकिस्तान इस बात को भलीभांति जानता है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज के मौजूद रहने तक तालिबान की मनमानी चलने वाली नहीं हैं. साथ ही पाकिस्तान के नापाक मंसूबे भी अफगानिस्तान में ज्यादा सफल नहीं हो पाएंगे. अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बाहर करने वाला अमेरिका ही है.

अमेरिका ने 2001 में किया था अफगानिस्तान में हमला

11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में हमला किया था और तालिबान सरकार को उखाड़ फेंका था. उस समय से तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता से बाहर है. करीब 18 साल तक चली जंग के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ है. इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका ने साफ कहा कि तालिबान को अलकायदा और दूसरे आतंकी संगठनों से अपने रिश्ते खत्म करने होंगे. तालिबान अफगानिस्तान की धरती को आतंकियों की पनाहगाह नहीं बनने देगा.

अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद और तालिबान के कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने हस्ताक्षर किए. इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी मौजूद रहे.

तालिबान ने पाकिस्तान का किया शुक्रिया

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी अमेरिका-तालिबान शांति समझौते के गवाह बने. पाकिस्तान ने अमेरिका-तालिबान शांति समझौते का स्वागत किया है. वहीं, तालिबान ने अमेरिका के साथ हुए इस समझौते के लिए पााकिस्तान का शुक्रिया अदा किया है.

इस दौरान अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान ने शांति का राग अलापा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि यह शांति समझौता अफगानिस्तान के साथ ही पूरे क्षेत्र के लिए बेहद अहम है. अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते से अफगानिस्तान में शांति कायम होगी.

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अफगानिस्तान को अक्सर अस्थिर करने की साजिश रचने वाले पाकिस्तान ने कहा कि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते के बाद अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता और शांति की दिशा में काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सरकार को मदद की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान में रह रहे अफगानिस्तानी शरणार्थियों वापस उनके मुल्क भेजा जा सके.

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उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में विकास और शांति के लिए पाकिस्तान मदद करेगा. अमेरिका और अफगान सरकार तालिबान के 5,000 कैदियों को रिहा करेंगे, जिसके बदले तालिबान अफगान सरकार के 1,000 कैदियों को छोड़ेगा.

अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर भारत क्या बोला?

भारत हमेशा से अफगानिस्तान की शांति और विकास का हिमायती रहा है. अफगानिस्तान के विकास में भी भारत सहयोग करता रहा है. लिहाजा भारत ने अफगानिस्तान में शांत कायम करने के मकसद से किए गए इस समझौते का समर्थन किया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत उस हर अवसर का समर्थन करता है, जो अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता ला सकते हैं. साथ ही आतंकवाद को खत्म कर सकते हैं. इस समझौते का अफगानिस्तान की आवाम और सरकार ने स्वागत किया है. भारत हमेशा अफगानिस्तान की शांति और समृद्धि में सहयोग करता रहेगा.

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