तालिबान-अमेरिका के बीच हुआ समझौता, जानें किस तरह बढ़ सकती हैं भारत की मुश्किलें – अमर उजाला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 29 Feb 2020 10:42 PM IST

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कतर के दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर मुहर लग गई। दोनों पक्षों के हस्ताक्षर से हुए इस समझौते के तहत अमेरिका अगले 14 महीने में अफगानिस्तान से सभी बलों को वापस बुलाएगा। इस करार के दौरान भारत समेत दुनियाभर के 30 देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। हालांकि अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ यह समझौता भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

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समझौते के अहम बिंदु

  • समझौते के अनुसार अफगानिस्तान में मौजूद अपने सैनिकों की संख्या में अमेरिका धीरे-धीरे कमी लाएगा। इसके तहत पहले 135 दिनों में करीब 8,600 सैनिकों को वापस अमेरिका भेजा जाएगा।
  • अमेरिका अपनी ओर से अफगानिस्तान के सैन्य बलों को सैन्य साजो-सामान देने के साथ प्रशिक्षित भी करेगा, ताकि वह भविष्य आंतरिक और बाहरी हमलों से खुद के बचाव में पूरी तरह से सक्षम हो सकें।
  • तालिबान ने इस समझौते के तहत बदले में अमेरिका को भरोसा दिलाया है कि वह अल-कायदा और दूसरे विदेशी आतंकवादी समूहों से अपना नाता तोड़ लेगा। साथ ही अफगानिस्तान की धरती को आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने में अमेरिका की मदद करेगा।
22 फरवरी से शुरू हुआ था आंशिक संघर्ष विराम
अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रवक्ता जावेद फैसल ने बीते सप्ताह कहा था कि अफगान सुरक्षा बलों और अमेरिका व तालिबान के बीच हिंसा में कमी जल्द ही हो जाएगी। उन्होंने शनिवार 22 फरवरी से हिंसा में कमी आने का दावा करते हुए कहा था कि यह कमी एक सप्ताह तक जारी रहेगी। हालांकि उन्होंने माना था कि हिंसा के पूरी तरह खत्म होने में समय लगेगा।  

क्या है भारत की मुश्किलें बढ़ने की वजह
भू राजनैतिक रूप से अहम अफगानिस्तान में तालिबान के कदम पसारने से वहां की नवनिर्वाचित सरकार को खतरा होगा और भारत की कई विकास परियोजनाएं प्रभावित होंगी। इसके अलावा भी पश्चिम एशिया में पांव पसारने की तैयारी में लगी मोदी सरकार को बड़ा नुकसान होगा। यही वजह है कि अमेरिका और तालिबान के बीच सफल शांति वार्ता से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है।

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