पढ़ें Army, Air Force, Navy में कितनी महिलाएं बहा रही हैं पसीना

नई दिल्ली. सेना (Army) में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से महिला अफसरों (Women officer) में खुशी की लहर है. उन्हें भी उम्मीद है कि उनकी शॉट सर्विस को भी स्थायी कमीशन मिल सकेगा. हालांकि वायु सेना (Air Force) के बाद थल सेना (Army) में भी महिलाओं का कॉम्बेट रोल में आने का रास्ता पहले ही साफ हो चुका है. अब स्थायी कमीशन मिलने से महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी. आर्मी पुलिस में महिलाओं की एंट्री पहले ही खुल चुकी है.सेना में महिलाएं वर्ष 1990 से बहा रही हैं पसीना विंग कमांडर रिटायर्ड एके सिंह बताते हैं कि हालांकि भारतीय सेनाओं में महिला अधिकारियों की शुरुआत 90 के दशक में हो गई थी. लेकिन उस वक्त महिलाओं को सिर्फ शार्ट सर्विस कमिशन के लिए ही रखा जाता था. महिला अधिकारी सिर्फ पांच (05) साल की ही नौकरी कर पाती थी. ज्यादा से ज्यादा इस शार्ट सर्विस को बढ़वाकर 14 साल तक नौकरी कर सकती थीं. उसके बाद उन्हें हर हालात में फौज की सेवा छोड़नी पड़ती थी.पहले महिला अधिकारी सिर्फ सेना की सिग्नल कोर, इंजीनियिरिंग विंग, एवियेशन, एयर-डिफेंस, एजुकेशन कोर में ही थीं. लेकिन अब सेना के सभी कोर में महिलाओं की भर्ती हो सकेगी. साथ ही सेना की सबसे अह्म कॉम्बेट-आर्म्स जैसे इंफेंट्री, आर्मर्ड और आर्टेलेरी में भी उन्हें मौका दिया जा सकेगा. इसकी शुरुआत सेना पुलिस में 800 महिलाओं की भर्ती से की जा रही है.एयर फोर्स में हैं फाइटर के रोल में एयर मार्शल कपिल कॉक ने बताया कि वायुसेना ने महिलाओं को कॉम्बेट रोल में शामिल करना शुरु कर दिया है. पहली बार तीन महिलाओं को फाइटर पायलट के पद पर तैनात किया गया है. फाइटर पायलट बनने वाली ये तीन महिलाएं हैं अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह. यानि तीनों अफसर देश के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान उड़ाएंगी. जरुरत हुई तो ये अपने फाइटर एयरक्राफ्ट से दुश्मन पर बम, रॉकेट और मिसाइल से हमला भी करेंगी.नौसेना में महिलाओं को अभी कॉम्बेट रोल नहीं दिया गया है. वे अभी युद्धपोत और पनडुब्बियों में तैनात नहीं की जाती है. नौसेना में भी अभी सिर्फ मेडिकल, कम्युनिकेशन्स, ईजुकेशन विंग में ही महिलाओं के लिए एंट्री खुली हुई हैं.कोर्ट में लड़कर लिया सेना में जाने का हक
कर्नल रिटायर्ड यूसी दुबे का कहना है कि महिलाओं को सेनाओं में हक के लिए एक लंबी और कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. वर्ष 2010 में वायुसेना की महिला अफसर ने स्थायी कमिशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. तब जाकर महिला अधिकारियों को पहले वायुसेना में स्थायी कमिशन का मौका मिला. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही नौसेना में भी महिलाओं को स्थायी कमिशन का हक दिया जा चुका है.तीनों सेनाओं में कितनी हैं महिला अधिकारी – हमारी थल सेना में भर्ती जवानों और अफसरों की की संख्या है लगभग 13 लाख. लेकिन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फौज में महिलाओं की संख्या है मात्र 3089.- वायुसेना की कुल संख्या है करीब 1.5 लाख है. लेकिन महिला अफसरों की संख्या है सिर्फ 3191.- नौसेना में करीब 70 हजार नौसैनिक और अधिकारी हैं. लेकिन महिलाओं की संख्या है मात्र 958.पैरा मिलेट्री फोर्स में महिलाएं- सीआरपीएफ—महिलाएं हर स्तर पर हैं. अलग से महिलाओं की बटालियन हैं.बीएसएफ—पहली बार किसी महिला को अधिकारी (कमांडेंट) पद पर शामिल किया गया है. हालांकि आईपीएस अधिकारी जरूर डेप्यूटेशन पर आ सकती हैं.आईटीबीपी—आईटीबीपी पहली पैरामिलेट्री फोर्स है जिसमें महिलाओं का ना केवल जवान के पद पर नियुक्त किया है बल्कि चीन सीमा पर तैनात किया गया है.सीआईएसएफ- इस फोर्स में भी महिलाएं सभी पदों पर अपने काम को अंजाम दे रही हैं.ये भी पढ़ें- Exclusive:आसमान में जाम हो गए थे बंगाल की खाड़ी में गिरे AN-32 एयरक्राफ्ट के कंट्रोल सिस्टम!सरकार के पास नहीं बाघ-मोर को राष्ट्रीय पशु-पक्षी बताने वाले दस्तावेज, उठाया यह कदम[embedded content]
Source: News18 News

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