मध्यस्थता को संस्थागत स्वरूप देने की जरूरत, SC ने जानकार मध्यस्थों की नियुक्ति पर दिया जोर

Publish Date:Sun, 16 Feb 2020 09:42 AM (IST)

नई दिल्ली, एएनआइ। विभिन्न विवादों के निपटारे के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाने पर गंभीरता से कदम उठाया जाना चाहिए। आज जरूरत है कि कामचलाऊ व्यवस्था के बजाय मध्यस्थता को संस्थागत स्वरूप दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ने शनिवार को यह बात कही। जस्टिम मल्होत्रा 12वें अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कॉन्क्लेव को संबोधित कर रही थीं।कॉन्क्लेव का आयोजन नानी पालखीवाला मध्यस्थता केंद्र (एनपीएसी) की ओर से किया गया था।
जस्टिस मल्होत्रा ने कहा कि मध्यस्थता कराने वाला जितना बेहतर होगा, मध्यस्थता का नतीजा भी उतना ही बेहतर होगा। इसलिए जरूरी है कि इस काम में प्रशिक्षित मध्यस्थों को लाया जाए। न्यायिक समीक्षा का दायरा बढ़ाने के बजाय मध्यस्थता कराने के लिए विषय के जानकार को चुने जाने की जरूरत है। उन्होंने घरेलू और विदेशी मामलों की मध्यस्थता के लिए अलग-अलग कानून की पैरवी भी की। उन्होंने कहा, ‘घरेलू और विदेशी मध्यस्थता के मामलों के लिए दो कानून होने चाहिए, क्योंकि दोनों मामलों में व्यवस्था पूरी तरह अलग होती है। ऐसा नहीं होने से कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है।’

वरिष्ठ वकील और एनपीएसी के डायरेक्टर अरविंद पी. दातार ने पूरी तरह संस्थागत मध्यस्थता पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियों में संस्थागत मध्यस्थता की व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए। लंदन के फाउंटेन कोर्ट चैंबर्स से जुड़ी ली-एन मुलकाही ने भी विशेषज्ञ मध्यस्थों का पूल बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भेदभावरहित मध्यस्थता किसी भी व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है।
Posted By: Shashank Pandey

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Source: Jagran.com

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