चीता के लिए नौरादेही-पालपुर अनुकूल हैं या नहीं, सरकार ने फिर तैयार किया प्रस्ताव

Publish Date:Sun, 16 Feb 2020 10:43 PM (IST)

मनोज तिवारी, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट से चीता परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद मध्यप्रदेश के वन विभाग ने नौरादेही अभयारण्य या कुनो पालपुर नेशनल पार्क में चीता बसाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। साथ ही, विभाग ने अपनी ओर से चीतों को सागर से सटे नौरादेही अभयारण्य में बसाने और एक प्रतिनिधिमंडल नामीबिया भेजने का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा जा रहा है ताकि मंजूरी मिलने पर चीता बसाने का गौरव मध्यप्रदेश को ही प्राप्त हो। दरअसल, भारत में चीता के लिए खोजे गए अनुकूल क्षेत्र में मप्र के दोनों स्थानों के अलावा राजस्थान का भी एक अभयारण्य शामिल है। हालांकि यह स्थान चीतों के अनुकूल बचे हैं या नहीं इसे लेकर फिर से अध्ययन कराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी चीता लाने का रास्ता किया साफ
भारत को चीता देने के लिए नामीबिया तैयार है। केंद्रीय वन मंत्रालय को सहमति मिल गई है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी चीता लाने का रास्ता साफ कर दिया है। अब मध्यप्रदेश सरकार की पूरी कोशिश है कि चीता यही आए इसलिए सरकार ने पहल शुरू कर दी है। मप्र सरकार गुजरात के बब्बर शेरों की तरह चीता को अपना स्टेटस सिंबल बनाएगी। प्रदेश में इसका फायदा पर्यटन को मिलेगा। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट की कमेटी (भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, वर्तमान महानिदेशक धनंजय मोहन और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के वन्यजीव के डीआईजी) तय करेगी कि मध्यप्रदेश में चीता बसाने के लिए क्या जरूरी है, लेकिन इससे पहले राज्य सरकार अपने स्तर पर नौरादेही और कुनो पालपुर की उन कमियों को दूर करने की कोशिश में जुट गई है, जो इस परियोजना में बाधक बन सकते हैं।

गौरतलब है कि श्योपुर जिले के कुनो पालपुर और नौरादेही अभयारण्य को चीता परियोजना के लिए तैयार किया जा रहा था। फिर पालपुर को गुजरात के गिर अभयारण्य से बब्बर शेर लाने की परियोजना को मंजूरी मिल गई। वहीं, चीता परियोजना में देरी के चलते विभाग ने नौरादेही में बाघ-बाघिन छोड़ दिए हैं, जिनके दो शावक हाल ही में सामने आए हैं।
73 साल बाद चीता के भारत आने की उम्मीद
भारत में चीता आखिरी बार 1948 में सरगुजा (अविभाजित मप्र, अब छत्तीसगढ़) के जंगल में देखा गया था। वर्ष 1952 में केंद्र सरकार ने चीता को विलुप्त प्रजाति घोषित किया था। चीता अकेला वन्यप्राणी है, जिसे केंद्र सरकार ने विलुप्त घोषित किया है। इसकी पुनस्र्थापना की कोशिशों के चलते केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में चीता परियोजना को मंजूरी दी है। तब देशभर में चीता के अनुकूल वातावरण तलाशा गया था।

मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि चीता की देखभाल के गुर सीखने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल को नामीबिया भेजने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।
Posted By: Dhyanendra Singh

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Source: Jagran.com

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