अमेरिकी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली की ऊंची कीमत से भारत चिंतित, अब सुरक्षा के दूसरे विकल्पों पर विचार

Publish Date:Sun, 16 Feb 2020 07:27 PM (IST)

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत सरकार अमेरिकी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली की अत्यधिक ऊंची कीमत को लेकर चिंतित है। लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हथियारों के हमलों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए सरकार इस सुरक्षा कवच को खरीदना चाहती है। अमेरिका की सरकार ने पिछले हफ्ते एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (आइएडीडब्ल्यूएस) भारत को बेचने की मंजूरी दी थी। अमेरिका की तरफ से इस सौदे की कीमत 1.9 अरब डॉलर (लगभग 13000 करोड़ रुपये) तय की गई है। इसके तहत भारतीय वायुसेना को विभिन्न तरह के रडार और मिसाइल प्रणाली मिलेगी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत को अनुमान था कि यह सौदा एक अरब डॉलर यानी लगभग सात हजार करोड़ रुपये में हो जाएगा। इस तरह कीमतों में लगभग दोगुना का अंतर है। सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार सौदे की ऊंची कीमत को देखते हुए दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रही है। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भी जुलाई, 2018 में इस प्रोजेक्ट की कीमत लगभग एक अरब डॉलर तय की थी। भारत ने रूस की मिसाइल सुरक्षा प्रणाली के स्थान पर इस सुरक्षा प्रणाली को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। इसे दिल्ली की सुरक्षा के लिए वायु सेना के दिल्ली कमान में तैनात किया जाना है, जहां अभी रूसी सुरक्षा प्रणाली को तैनात किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी भारत यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठ सकता है। ट्रंप 24-26 फरवरी को भारत की यात्रा पर आ रहे है। ट्रंप की यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के लिए दो दर्जन सीहॉक हेलीकॉप्टर और सेना के लिए पांच अपाचे हेलीकॉप्टर के सौदे पर भी बातचीत आगे बढ़ने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि अमेरिका से 30 प्रीडेटर ड्रोन जैसे अन्य सैन्य सौदों में ऊंची कीमत सबसे बड़ी चिंता की बात है। इसमें प्रत्येक ड्रोन की कीमत 10 करोड़ डॉलर (लगभग 700 करोड़ रुपये) है। इसमें ड्रोन का इस्तेमाल हथियार गिराने के साथ ही निगरानी के लिए करने का विकल्प भी है।

अमेरिका ने भारत को जो मिसाइल सुरक्षा प्रणाली देने को मंजूरी दी है, उसे नसम्स (एनएएसएएमएस) मिसाइल सुरक्षा प्रणाली के नाम से जाना जाता है। इसमें पांच एएन/एमपीक्यू-64एफ1 सेंटिनल रडार प्रणाली, फायर डिस्टि्रब्यूशन सेंटर, 118 एमराम एआइएम-120सी-7/सी-8 मिसाइल भी शामिल है। साल 2018 में भारतीय टीम वाशिंगटन गई थी। टीम ने नसम्स सुरक्षा प्रणाली के कामकाज को देखने की इच्छा जताई थी, लेकिन अमेरिका ने अनुमति नहीं दी, क्योंकि इस सुरक्षा प्रणाली को अमेरिका के एक सैन्य अड्डे के मध्य में तैनात किया गया था।
Posted By: Krishna Bihari Singh

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Source: Jagran.com

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