18 साल कैद काट चुके सात हत्याओं के दोषी ने मांगी सुप्रीम कोर्ट से रिहाई, जानें क्‍या है मामला

Publish Date:Sun, 16 Feb 2020 08:02 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अठ्ठारह साल कैद काट चुके सात हत्याओं के दोषी ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 74 साल की उम्र और जेल में अच्छे आचरण की दुहाई देते हुए कोर्ट से रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दोषी ताहिर फिलहाल सेंट्रल जेल आगरा में बंद है उसे उम्रकैद की सजा हुई है।
उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
ये नोटिस न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन और एस. रविन्द्र भट्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता ताहिर के वकील डीके गर्ग की दलीलें सुनने के बाद जारी किया। इससे पहले डीके गर्ग ने ताहिर की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का कैदियों की समयपूर्व रिहाई का जो नियम है उसके मुताबिक जो कैदी 14 साल वास्तविक कैद काट चुके हैं और जिनकी उम्र 68 वर्ष की हो चुकी है। साथ ही जेल में उनका आचरण अच्छा रहा हो, उन्हें रिहाई दी जा सकती है। गर्ग ने कहा कि याचिकाकर्ता 74 वर्ष का हो चुका है और वह 18 साल वास्तविक कैद काट चुका है। उसका जेल में आचरण भी अच्छा रहा है ऐसे में उसे रिहाई मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कमेटी ने 2016 में ताहिर की रिहाई की सिफारिश की थी और मेरठ के जिलाधिकारी ने भी रिहाई की सिफारिश स्वीकार की थी। लेकिन बोर्ड ने कमेटी की समय पूर्व रिहाई की सिफारिश खारिज कर दी। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका में प्रतिवादी बनाई गई उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किये।

पारिवारिक दुश्मनी के चलते हुई हत्‍याएं
याचिकाकर्ता कैदी ताहिर को फरवरी 1989 में अन्य आठ सह अभियुक्तों के साथ मिल कर सात लोगों की हत्या करने के जुर्म में सत्र अदालत ने अगस्त 2006 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक ये हत्याएं पारिवारिक दुश्मनी के चलते हुई थी। ताहिर को मिला कर कुल नौ दोषी हैं जिन्हें कोर्ट ने हत्या सहित विभिन्न धाराओं में उम्रकैद तक की सजा सुनवाई थी। सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ अक्टूबर 2006 में ही ताहिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी। याचिका के मुताबिक ताहिर की हाईकोर्ट में अपील अभी भी लंबित है। ताहिर उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला है।

2016 में बोर्ड ने खारिज कर दी थी रिहाई
कैदियों की समयपूर्व रिहाई के उत्तर प्रदेश सरकार के 2012 के आदेश को देखते हुए अप्रैल 2016 में ताहिर की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनी जिसने मामले पर विचार करने के बाद ताहिर की रिहाई की सिफारिश की। इसके बाद प्रोबेशन आफीसर (कलेक्टर मेरठ) ने 2 मई 2016 को अपनी रिपोर्ट में ताहिर की रिहाई की संस्तुति की। इसके बाद आईजी पुलिस और जेल एडमिनिस्ट्रेशन की जांच के रिस्पांस में जिला मजिस्ट्रेट ने भी 23 मई 2016 को ताहिर की रिहाई सिफारिश की। लेकिन 9 जून 2017 को उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त सचिव का पत्र आईजी जेल प्रशासन को मिला जिसमें बताया गया कि संबंधित अथारिटीज ने कैदी की रिहाई की जो संस्तुति की थी उसे बोर्ड ने खारिज कर दिया है। इसके बाद ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रिहाई मांगी है।

Posted By: Arun Kumar Singh

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Source: Jagran.com

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