एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है पाकिस्तान, पेरिस बैठक में होगा निर्णय

Publish Date:Sat, 15 Feb 2020 08:50 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान की एक अदालत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद को सजा सुना दी है। चीन, मलयेशिया और तुर्की ने भी पाकिस्तान की मदद करने को तैयार हैं। लेकिन सवाल है कि क्या से सारे उपाय और आश्वासन पेरिस में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को बचा लेंगे? एफएटीएफ यानी फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक रविवार से शुरु होगी और चार दिनों तक चलेगी। पेरिस सम्मेलन में तय होगा कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखना है या उसे ब्लैक लिस्ट में डालना है। जानकारों की मानें तो पाकिस्तान का रिकार्ड अभी इतना पुख्ता नहीं है कि वह निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) से बच निकले।
एफएटीएफ की तरफ से शनिवार को जारी एक सूचना में बताया गया है कि वह कोरिया, यूएई की तरफ से मनी लॉंड्रिंग व आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए उठाये जाने वाले कदमों की समीक्षा करेगा और साथ ही ईरान, पाकिस्तान व अन्य देशों की तरफ से वित्तीय ढांचे से जुड़े जोखिमों को दूर करने के लिए उठाये जाने वाले कदमों को भी परखेगा।

बताते चलें कि पाकिस्तान को दो वर्ष पहले ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसे आतंकी फंडिंग रोकने के साथ ही 50 तरह के कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। ग्रे लिस्ट में जाने के बाद के बाद पाकिस्तान सरकार हरकत में आई है और पिछले कुछ महीनों में उसकी तरफ से आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है और अपने बैंकिंग नियमों को भी सख्त बनाया गया है। पाकिस्तान अगर एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में चला जाता तो उसके लिए वैश्विक कारोबार करना और विदेशी अनुदान प्राप्त करने की राह और मुश्किल हो जाएगी। कंपनियों के लिए वहां कारोबार करने की लागत बढ़ जाएगी।

उधर, भारत अपने इस रूख पर अडिग है कि पाकिस्तान की तरफ से अभी भी आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। हालांकि भारत इस बात से संतुष्ट होगा कि पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही बना रहे। क्योंकि तभी वह आगे भी आतंकी संगठनों के खिलाफ कदम उठाएगा। ब्लैक लिस्ट होने की स्थिति में पाक बडे आर्थिक संकट में फंस सकता है जिससे वहां ज्यादा अस्थिरता आ सकती है जो भारत के लिए भी ठीक नहीं होगा।

बहरहाल, पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर करने के किसी भी कदम का विरोध भारत इस तर्क से करेगा कि वहां सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी के खिलाफ कदम उठे हैं। जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर, मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जाकिर रहमान लखवी जैसे खूंखार आतंकियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दूसरी तरफ फ्रांस जैसे कुछ दूसरे देश भी हैं जो पाकिस्तान की तरफ से उठाये जाने वाले कदमों को पर्याप्त नहीं मानते। उनका भी दवाब होगा कि पाकिस्तान को फिलहाल कोई छूट नहीं मिले। ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों का रुख भी काफई अहम होगा। इस बात के आसार कम हैं कि चीन, तुर्की की मदद पाकिस्तान के काम आएगी।
Posted By: Dhyanendra Singh

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Source: Jagran.com

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