जल्द ही बाजार में होगा आइआइवीआर का ‘हरी मिर्च पाउडर’, ऐसे बनता है पाउडर

Publish Date:Sat, 15 Feb 2020 12:41 PM (IST)

मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। देश के एक मात्र भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च, आइआइवीआर) ने सभी वैज्ञानिक एवं वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए हरी मिर्च का पाउडर तैयार कर लिया है। इस युक्ति का पेटेंट हो चुका है और उत्पाद जल्द ही देश के बाजार में उपलब्ध होगा।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधीर सिंह की टीम ने इस पर 2010 में शोध शुरू किया था। प्रारंभिक सफलता मिलने पर 2013 में इस युक्ति को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया गया। 2019 में पेटेंट कार्यालय की मंजूरी मिली। व्यावसायिक उत्पादन से पूर्व स्वीकृति के लिए इसे चेन्नई स्थित राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण को भेजा गया है। इसी माह इसे हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।
ऐसे बनता है पाउडर: टीम के सदस्यों ने बताया कि हरी मिर्च के डंठल को निकालने के बाद उसे पानी में अच्छी तरह से घुलते हैं। हरी मिर्च को 2.0-2.5 सेमी के आकार में काटते हैं। हरी मिर्च के टुकड़ों को 0.5 प्रतिशत मैग्नीशियम कार्बोनेट के उबलते घोल में पांच मिनट तक रखते हैं। इसके बाद 0.75 प्रतिशत पोटैशियम मेटाबाइसल्फाइट के घोल में 10 मिनट तक ठंडा करते हैं। हरी मिर्च को ट्रे ड्रायर में 600 सेंटीग्रेट तक के तापक्रम पर 8-10 घंटे तक सुखाते है। सूखे टुकड़ों को मिक्सी में हरी मिर्च का पाउडर प्राप्त करते हैं।

अब तक का सफर

2010 तक शोध कर हरी मिर्च का पाउडर बनाने में सफलता मिली
26 मार्च 2013 को तकनीक आवेदन भारतीय पेटेंट कार्यालय में
12 दिसंबर 2014 को विधि का प्रकाशन पेटेंट कार्यालय में हुआ
27 जून 2019 को पेटेंट कार्यालय ने प्रोडक्ट का परीक्षण किया
14 जनवरी 2020 को अंतिम स्वीकृति के लिए एनबीए को भेजा
उत्पाद की बिक्री के लिए एनबीए की हरी झंडी मिलने का इंतजार

भंडारण क्षमता एवं गुणवत्ता भी बरकरार

हरी मिर्च पाउडर को प्लास्टिक की थैलियों में कमरे के तापक्रम पर 6-7 महीने तक अच्छी अवस्था में भंडारित कर सकते हैं।
पाउडर में हरी मिर्च का 90-93 प्रतिशत हरा रंग, 35-40 मि.ग्रा./ 100 ग्राम विटामिन सी एवं 80-85 प्रतिशत कैप्सेसिन मौजूद रहता है।
हरी मिर्च में भंडारण के दौरान तीखापन में कोई कमी नहीं पाई जाती है। छह महीने के बाद हरे रंग में 45-50 प्रतिशत तक कमी पाई गई।

वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि पहली बार हरी मिर्च के पाउडर बनाने की विधि का लाइसेंस आइआइवीआर के पास ही है। वैसे भावनगर में एक कंपनी भी पाउडर बनाती है, लेकिन पेटेंट सिर्फ हमारे संस्थान के पास ही है। इस पाउडर में सबसे अधिक विटामीन सी, तीखापन व हरा रंग मौजूद है। जब किसी कंपनी को लाइसेंस दिया जाएगा तो उस पैकेट पर प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी लाइसेंस फ्रॉम आइआइवीआर, वाराणसी का नाम अंकित रहेगा।

वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह ने बताया कि कई वर्षों की मेहनत के बाद संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह उपलब्धि पाई है। उम्मीद है इसी माह एनबीए स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद इसका वाणिच्यिक उपयोग शुरू हो जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
Posted By: Sanjay Pokhriyal

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Source: Jagran.com

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