महाराष्ट्र में एक मई से उद्वव सरकार लागू करने जा रही एनपीआर, सहयोगी पार्टी से शुरु हुई तकरार

3.34 लाख कर्मचारी तैनात किए गए बता दें देश भर में सीएए और एनआरपी को लेकर हो विरोध प्रदर्शन के बावजूद केन्‍द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने आगामी 1 मई से 15 जून के बीच एनपीआर के तहत सभी सूचनाएं एकत्र करने की अधिसूचना जारी की है। इसी के मद्देनजर महाराष्‍ट्र रजिस्‍ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्‍त ने एनपीआर और जनगणना को लेकर राज्य के अधिकारियों के साथ एक सप्‍ताह पूर्व बैठक की और दोनों प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए लगभग 3.34 लाख कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इसे लेकर राज्य की उद्वव ठाकरे सरकार जल्द ही अधिसूचना भी जारी करने वाली हैं। महाराष्‍ट्र सरकार में शुरु हुई तनातनी महाराष्‍ट्र में एनपीआर लागू किए जाने के सीएम उद्वव ठाकरे सरकार के फैसले के बाद शिवसेना की सरकार में शामिल राष्‍ट्रवादी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के बीच इस निर्णय को लेकर मनमुटाव शुरु हो चुका है। बता दें कांग्रेस लगातार सीएए, एनपीआर और एनआरसी के प्रति विरोध जता रही हैं। पहले ही सीएम उद्वव ठाकरे ने सीएए पर महाराष्‍ट्र विधानसभा में प्रस्‍ताव न लाने का निर्णय कर चुकी हैं जिस पर कांग्रेस पहले से शिवसेना से नाराज चल रही थी। वहीं अब ये एनपीआर को लागू करने का महाराष्‍ट्र सीमए ठाकरे का ये फैसला महाराष्‍ट्र सरकार के लिए आग में घी डालने जैसा साबित हो सकता है। एनसीपी ने अभी नहीं खोले हैं अपने पत्ते माना जा रहा है कि अब महाराष्‍ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस महाराष्‍ट्र में भी एनपीआर लागू करने का विरोध करेगी। हालांकि अभी एनसीपी ने इसे लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है लेकिन हाल ही में एनसीपी नेता और मंत्री अनिल देशमुख ने एनपीआर के विरोधियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान कहा था कि सरकार कानून विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर रही है। विशेषज्ञ ये मान रहे है कि इस मुद्दे पर एनसीपी भी शिवसेना के बजाय कांग्रेस का ही साथ देगी। एनसीपी और शिवसेना की बीच इस मुद्दे पर पड़ चुकी है दरार गौरतलब हैं कि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच एल्गार परिषद् को लेकर दरार पड़ चुकी है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है जिससे की एनसीपी नाराज है। एनसीपी कोटे से गृह मंत्री बने अनिल देशमुख ने गुरुवार को कहा, ‘मुख्यमंत्री के पास शक्ति है। उन्होंने मेरे प्रस्ताव को खारिज कर दिया और जांच करने के लिए एनआईए को हरी झंडी दे दी। देशमुख ने कहा कि एक बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से पहले, राज्य सरकार को केंद्रीय मंत्रालय को बताना चाहिए था कि उसके निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरुरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें एडवोकेट जनरल से सलाह लेनी चाहिए थी। मेरे प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया।’ एल्‍गार परिषद का ये था मामला बता दें एल्गार परिषद् 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में शनिवार वाडा में दलित समूहों और अन्य लोगों द्वारा आयोजित एक सभा थी। इसके एक दिन बाद भीमा कोरेगांव युद्ध के वार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गांववाले पहुंचे थे, जहां हिंसा भड़क गई थी। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि अन्य घायल हुए थे। तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जिन्होंने एल्गार परिषद् का समर्थन किया था। एनसीपी, कांग्रेस और कुछ दलित समूहो ने हिंसा के लिए हिंदुत्व संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था। शिवसेना से नाराज चल रहे एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार गौरतलब है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सीएम उद्वव ठाकरे द्वारा भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को सौंपे जाने पर गलत ठहराया है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता हूं कि इन अधिकारियों की भी भूमिका की जांच हो। पवार ने कहा कि सुबह पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसके बाद दोपहर तीन बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को सौंप दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है। सीएम के इस फैसले से नाराज शरद पवार संभवत: एनपीआर पर भी राज्य में लागू होने पर विरोध कर सकते हैं। एनसीपी ने अघाड़ी गठबंधन सरकार को दिया था ये सुझाव मालूम हो कि राज्य में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार बनने के बाद एनसीपी ने सुझाव दिया था कि भाजपा द्वारा एल्गार परिषद् का मामला झूठा है। 10 जनवरी को शरद पवार ने ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था कि पुणे पुलिस ने प्रसिद्ध नागरिकों और निर्दोष लोगों को मामले में गिरफ्तार किया है और मामले की जांच एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के अधीन एसआईटी को देनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस संभावना को खत्म करते हुए एनआईए को जांच सौंप दी थी। एनपीआर यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर क्या है? एनपीआर सामान्य रूप से भारत में रहने वालों या यूजुअल रेजिडेंट्स का एक रजिस्टर है। भारत में रहने वालों के लिए एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। यह भारतीयों के साथ भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होगा। एनपीआर का मक़सद देश में रहने वाले लोगों के व्यापक रूप से पहचान से जुड़ा डेटाबेस तैयार करना हैपहला एनपीआर 2010 में तैयार किया गया और इसे अपडेट करने का काम साल 2015 में घर-घर जाकर सर्वे के ज़रिए किया गया। अब इसे एक बार फिर से अपडेट करने का काम 2020 में अप्रैल महीने से सितंबर तक 2021 की जनगणना में हाउसलिस्टिंग फेज के साथ चलेगा। इसे नागरिकता क़ानून 1955 और सिटिज़नशिप (रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिज़न्स एंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत गाँव, पंचायत, ज़िला, स्टेट और राष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा।
Source: OneIndia Hindi

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