दिल्ली के बाद अब इन दो राज्यों पर AAP की नजर, सामने आया केजरीवाल का बड़ा प्लान

मध्य प्रदेश और गुजरात में AAP उतार सकती है उम्मीदवार दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली भारी जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी ने अब देशभर में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री गोपाल राय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘लोग 9871010101 पर मिस्ड कॉल देकर हमारे राष्ट्र-निर्माण अभियान से जुड़ सकते हैं। जैसे ही पार्टी दिल्ली से बाहर कार्यकर्ताओं की एक अच्छी संख्या हासिल कर लेगी, तो हम देशभर में सभी निकाय चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारेंगे। फिलहाल हम मध्य प्रदेश और गुजरात में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं।’ ये भी पढ़ें- जानिए, अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर मिलेगी कितनी सैलरी सकारात्मक राष्ट्रवाद के जरिए आगे बढ़ेगी AAP गोपाल राय ने आगे कहा, ‘आम आदमी पार्टी ने ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ के जरिए दिल्ली के बाहर अपना विस्तार करने के लिए रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक बुलाई थी। हमारी पार्टी का राष्ट्रवाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रवाद से पूरी तरह अलग है। दिल्ली के अंदर हमने लोगों को प्यार और सम्मान देकर एक सकारात्मक राष्ट्रवाद का प्रसार किया। वहीं, भाजपा का राष्ट्रवाद नफरत और विभाजनकारी राजनीति पर आधारित है। आम आदमी पार्टी का दिल्ली प्रयोग पूरे देश के लिए एक ‘रोल मॉडल’ बन गया है। ‘भाजपा के लिए धर्म है एक राजनीतिक हथियार’ दिल्ली के नए मंत्री के तौर पर रविवार को शपथ लेने जा रहे गोपाल राय ने बताया, ‘हमारा राष्ट्रवाद किसानों सहित समाज के हर वर्ग को रोजगार, अच्छी शिक्षा और हेल्थ केयर की गारंटी देता है। दूसरी तरफ, भाजपा देश के लोगों का ही सम्मान नहीं करती। वो लोग हर आदमी को एक वोट बैंक के तौर पर देखते हैं।’ गोपाल राय ने उन आरोपों का खंडन किया, जिनमें कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल मंदिरों में जाकर और हनुमान चालीसा पढ़कर सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं। गोपाल राय ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी के लिए धर्म एक राजनीतिक हथियार है, लेकिन इस देश के लोगों के लिए धर्म एक आस्था है। 2015 में भी मिला था AAP को प्रचंड बहुमत आपको बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। 2015 में आम आदमी पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा के खाते में महज 3 सीटें गईं। कांग्रेस का प्रदर्शन 2015 के विधानसभा चुनाव में बेहद खराब रहा था और उसे एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इस बार के दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन भी एक बड़ा मुद्दा रहा, जिसे लेकर कई तरह के विवादित बयान सामने आए। ये भी पढ़ें- Inside Story: कैसे लिया गया पुलवामा का बदला, पढ़िए एयर स्ट्राइक की उस आधी रात की कहानी
Source: OneIndia Hindi

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